पटना में भी सजा है श्रीराम-जानकी का भव्य दरबार


 - यहां मिथिला के भाव में सुबह से शाम तक होती है श्री राम जी की आवभगत
- दारोगा राय पथ में स्थित श्री प्रेम निधि रूपकला स्मारक पंचमंदिर में स्थापित है दरबार
रविशंकर उपाध्याय, पटना.

श्री राम के दरबार में प्रवेश करते ही गद्देदार कालीन बिछा हुआ है. राम जी के साथ किशोर जी की खड़ाऊं वहीं पायदान पर रखी हुई है. मुख्य दरवाजे के ठीक सामने उनका दीवान सजा है, उस पर मानस रूप में श्री राम के साथ माता जानकी स्थापित हैं. दाहिनी ओर झूले वाली आराम कुर्सी लगी हुई है और बायीं ओर मनोरंजन के लिए सजे हुए चौसर की चौकी. चाैकी के दोनों तरफ गद्देदार स्टूल्स, टेबल पर पीतल के बर्तन में पानी की व्यवस्था और टहलने के लिए पर्याप्त जगह. कमरे के एक ओर माता जानकी के तैयार होने के लिए वहां साज-सज्जा की अलमीरा. सामने आईना और प्रसाधन के पूरे संसाधन.
अयोध्या के कनक भवन में श्री राम के भव्य दरबार की तरह राजधानी में श्री राम का दरबार कुछ ऐसे ही सजा हुआ है. अयोध्या में राम की पैड़ी में रूपकला कुंज दिव्यकला कुंज नामक मंदिर है. राजधानी के दारोगा राय पथ में उसी कुंज की शाखा में यह भव्य राम दरबार स्थापित है. सन 1940 में दिव्यकला जी महाराज ने श्री प्रेम निधि रूपकला स्मारक पंचमंदिर की स्थापना दरोगा राय पथ में की थी. यहां 2009-10 में राम का भव्य दरबार उनके प्रति आस्था के कारण बनाया गया था, जिसके बारे में काफी कम लोगों को जानकारी है.


यहां माना जाता है कि मिथिला स्थित ससुराल में हैं श्री राम
25 सालों से इस मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि यहां मिथिला के भाव में सुबह से शाम तक श्री राम जी की आवभगत होती है, क्योंकि हम मानते हैं कि श्री राम जी अयोध्या से अपने ससुराल पहुंचे हैं. मिथिला में जिस प्रकार से दामाद का स्वागत सत्कार होता है, उसी को ध्यान में रखते हुए यहां सुबह से शाम तक तैयारी की जाती है. इसमें मंदिर प्रबंधन पूरी निष्ठा के साथ लगा रहता है.
कुछ ऐसी होती है श्री राम-जानकी जी की दिनचर्या
माना जाता है कि सुबह पांच बजे श्री राम और माता जानकी की सुबह की शुरुआत हो जाती है. सुबह पांच बजे उन्हें स्नान कराया जाता है. उनके वस्त्र बदलकर पूजा के लिए तैयार किया जाता है. धूप, दीप, फूल अर्पण-पूजन के बाद नैवेद्य में बालभोग दिया जाता है. बालभोग में पेड़ा या कोई अन्य मिठाई दी जाती है. सुबह सात बजे आरती होती है. इसके बाद सवेरे 11.30 बजे राजभोग में पूरी-सब्जी और चावल-दाल-दही आदि के साथ पापड़, चरौरी-दनौरी आदि दिया जाता है.

पुजारी श्रीधर शास्त्री कहते हैं कि यहां मिथिला के भाव में भगवान हैं सो हम मिथिला की परंपरा को फॉलो करते हैं. दिन के 12 से 3.30 बजे के बीच राम जानकी जी का शयनकाल होता है. दोपहर बाद 3.30 बजे उनके जगने के बाद फलाहार दिया जाता है. इस दौरान वह चौसर खेलते हैं, शाम 4 बजे से 5.30 बजे तक उनके मनोरंजन हेतु सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है. इसमें सुंदर कांड पढ़कर सुनाया जाता है. शाम 5.30 बजे आरती होती है और फिर रामचरित मानस के विभिन्न खंडों का पाठ होता है. 9.30 बजे रात में भगवान को पूरी-सब्जी के बाद अनिवार्य तौर पर दूध दिया जाता है. इसके बाद वे रात्रि शयन के लिए चले जाते हैं.

Comments