वशिष्ठ नारायण सिंह : मैली बेडशीट से लेकर रेड कारपेट की यात्रा

रविशंकर उपाध्याय, पटना.
यह महज कुछ घंटों में मैली बेडशीट से उठकर वशिष्ठ बाबू के रेड कारपेट तक की अनंत यात्रा थी. वशिष्ठ बाबू के निधन के ठीक पहले के कुछ मिनटों से लेकर तीन घंटे के बीच की इस यात्रा में उनकी आर्थिक विपन्नता झलक रही थी. नेताओं के बीच श्रेय लेने की होड़ थी. सोशल मीडिया पर दुख के दिखावे का शौक था और इसके बाद अंतत: उनकी अंतिम यात्रा के राजकीय होने का पल था. आठ बजे के पहले जब वे उठे तो उनके भाई अयोध्या नारायण सिंह पास में ही सोए हुए थे. वशिष्ठ बाबू उठे और बेड पर ही गिर गये. वहीं पर उनकी टोपी बिस्तर पर अंतिम बार पड़ी थी. बिस्तर काला मटमैला हो चुका था, साढ़े आठ बजे निजी गाड़ी से अयोध्या सिंह उन्हें पीएमसीएच लेकर जाते हैं.
वहां देखते ही डॉक्टरों ने कहा कि निधन पहले ही हो चुका है, जब उन्होंने छाती दबाई तो खून निकले लेकिन प्राण पहले ही निकल चुके थे. स्ट्रेचर पर ही उनका शव पीएमसीएच के सेमिनार हॉल के पास पड़ा रहा. परिवार शव वाहन का इंतजार करता रहा, लेकिन घंटे भर के संघर्ष के बाद उसमें सफलता हासिल हुई. जब एंबुलेंस आया तो उनका शव अंतिम दर्शन के लिए अशोक राजपथ के कुल्हड़िया कांपलेक्स पहुंचा. इस बीच नेताओं में अपने तरह की होड़ थी पप्पू यादव, जदयू के छोटू सिंह और पुलिस एसोसिएशन के मृत्युंजय सिंह से उलझे हुए थे.
पप्पू यादव कह रहे थे कि मैं तो उनके बीमार होने की स्थिति में मिलने गया था, परिवार को आर्थिक मदद भी की लेकिन आपलोग यहां माला चढ़ाने पहुंच गये हैं. छोटू सिंह कह रहे थे कि हमने तो तुरंत सरकार से कह कर राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार घोषित कराया है. मृत्युंजय वशिष्ठ बाबू को अपने ससुराल का संबंधी बता रहे थे. यह माला चढ़ाने के बीच का वाक्या था. यहां जदयू के जयकुमार सिंह, बीजेपी से हरेंद्र प्रताप, प्रवीण सिंह और सागरिका चौधरी भी मौजूद थे. इसी बीच डीएम कुमार रवि पहुंचते हैं. वह परिवार के सदस्यों से मिलते हैं. सीएम के आने की सूचना के बाद प्रशासनिक व्यवस्था में एसएसपी गरिमा मलिक भी जुट जाती हैं. वशिष्ठ बाबू के शव के पास साढ़े 12 बजे तक रेड कारपेट बिछ जाता है.

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