एक डॉक्टर रहते हैं तैनात, नहीं होती कोई जांच, ये है विधायक अस्पताल का हाल

  

- फटे पड़े हैं बेड, एक्सपायर हैं फायर सिलिंडर
-विधायक अस्पताल का हाल बेहाल
पटना.

अस्पताल के अागे कबाड़. अंदर में प्रवेश करते ही दाहिनी ओर कोने में फटे हुए बेड, वहीं पर लटकता एक्सपायर फायर सिलिंडर और अंदर में टूटे फूटे प्लग स्वीच. ये कोई आम अस्पताल नहीं, बल्कि इस अस्पताल का नाम ही विधायक अस्पताल है. यह इनकम टैक्स चौराहा स्थित गार्डिनर रोड अस्पताल के बगल वाले भवन में चल रहा है. विधायक अस्पताल की हालत भी ऐसी है कि यह किसी कबाड़खाने के ढ़ेर पर बसे अस्पताल के समान है. बाहर खुले में इसके बेड के ढांचे से लेकर जेनरेटर व अन्य चीजें पड़ी हैं. ये चीजें बरसात और धूप से खराब भी हो रही हैं. बेड लगाने की जगह नहीं है, इसलिए बेड का ढांचा बाहर खुले में पड़ा है और गद्दा अंदर आलमारियों के ऊपर रखा पड़ा है. यह अस्पताल पहले विधायक क्लब के पीछे हुआ करता था, उस अस्पताल का भवन जब तोड़ा गया तो यहां शिफ्ट कर दिया गया है. अब यहां हेल्थ इंश्योरेंस से लैस विधायक जी यहां आयें चाहे नहीं आयें, लेकिन अस्पताल इसी तरह चल रहा है.
न पैथोलॉजिकल जांच, न एक्स रे, न इसीजी
यहां चार कमरों में यह अस्पताल चल रहा है. एक कर्मी ने बताया कि यहां कई विधायक सर्टिफिकेट बनवाने भी आते हैं. विधायकों के यहां काम करने वाले कर्मी इलाज कराने के लिए आते हैं. सरकारी दवाएं भी यहां उपलब्ध है. पैथोलॉजिकल जांच के लिए कैमिकल्स नहीं हैं. पैथोलॉजिस्ट हैं पर वे मौजूद नहीं हैं. एक्स-रे मशीन है पर खराब पड़ी है. ईसीजी की कोई व्यवस्था नहीं है. कोई मरीज यहां इमरजेंसी में आ जाये तो हर्ट अटैक की जांच भी मुश्किल है. दो फ्रीज है इसमें से एक खराब है.



महज एक डॉक्टर के भरोसे अस्पताल
यह अस्पताल महज एक डॉक्टर के भरोसे चल रहा है. कुल चार डॉक्टरों का पद स्वीकृत है. यहां एक डॉक्टर का निधन होने के बाद वह पद खाली पड़ा है. अन्य तीन पदों पर डॉक्टर तैनात हैं, लेकिन एक विधानसभा में रहते हैं तो दूसरे लोकपाल में. एक डॉक्टर अमित यहां पर मरीजों का इलाज कर पाते हैं. यहां हर दिन कितने मरीज विधायक अस्पताल में आते हैं? इसके लिए अस्पताल के प्रभारी से बात की गयी. उनका जवाब मिला, कभी 10 मरीज तो किसी दिन 25 मरीज आ जाते हैं. एक महिला कर्मचारी यहां मोबाइल पर बात करते करते सो गयी थी. जब उनसे यह पूछा गया कि किसी दो दिन के बारे में बता दीजिए कि किस दिन कितने मरीज आये तो हमें स्पष्ट कहा कि यह हम आपको नहीं बता सकेंगे. प्रभारी ही बात करेंगे. पता नहीं क्यों इस तरह से आंकड़े छुपाये जाते हैं या जरूरत से ज्यादा समय इन्हें देने में मांगा जाता है. एक बात तो साफ है कि कुछ मरीजों के इलाज पर लाखों रुपये वेतन में खर्च किये जा रहे हैं.
क्या कहते हैं अस्पताल प्रभारी ?
हमारे यहां विधायक तो काफी कम आते हैं, कुछ आमलोग भी इलाज के लिए आ जाते हैं. यहां जगह की कमी होने के कारण सामान बाहर में बिखरे पड़े हैं. एमएलए फ्लैट में अस्पताल के लिए भवन बनाया जा रहा है, वहां शिफ्ट हो जाने के बाद दिक्कत नहीं होगी. डॉक्टर की कमी हमारे यहां है, एक डॉक्टर ही लगातार ड्यूटी देते हैं जबकि दो अन्य विधानसभा और लोकपाल में तैनात हैं.
-डॉ समीर, प्रभारी, विधायक अस्पताल, पटना.

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