विश्व विरासत दिवस पर विशेष: जब तक बिहार के विरासत को देखिएगा नहीं तब तक बिहार को जानिएगा नहीं

-बिहार के विरासत स्थलों में आप भी करिये विहार
रविशंकर उपाध्याय, पटना.
इन दिनों बिहार के विरासत स्थलों की ब्रांडिंग का एक विज्ञापन सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. इस वीडियो में एक्टर जब पहली बार बिहार आता है तो यहां के विरासत स्थलों का भ्रमण करता है. वह बिहार को नालंदा, बोधगया, वैशाली, गंगा के जरिये जानने समझने की कोशिश करता है और अंत में सभी को संदेश देता है कि जब तक बिहार आइएगा नहीं तब तक बिहार को जानिएगा नहीं. संदेश स्पष्ट है बिहार में जब तक विरासत स्थलों का विहार नहीं करेंगे तब तक बिहार को सचमुच में नहीं जान पाएंगे. क्योंकि बिहार में कदम कदम पर विरासत बिखरे पड़े हैं, जो न केवल हमारे गर्व का हिस्सा हैं बल्कि वह हमारी पहचान से भी जुड़ा हुआ है. प्रदेश के विभिन्न भागों में मूर्त एवं अमूर्त विरासतों का संरक्षण कर मौजूदा के साथ ही नयी पीढ़ी को बताने की आवश्यकता है ताकि वह इस पर नाज कर सकें.
Takhat Harimandir sahib, Patna city
विश्व विरासत दिवस के मौके पर जरूरी है कि विरासतों को लेकर प्रदेश में जन-जागरूकता की जाये. राज्य में छह हजार से भी ज्यादा विरासत चिह्नों को खोजा जा चुका है. इन्हीं स्थलों में से एक सौ उन्नीस स्थलों एवं स्मारकों को सुरक्षित भी किया गया है. बिहार प्राचीन स्मारक और पुरातत्व अधिनियम, 1976 के अंतर्गत 48 ऐतिहासिक स्थलों एवं स्मारकों को बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा सुरक्षित घोषित किया गया है तथा भारत सरकार के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिनियम के तहत प्रदेश में 71 स्थलों को सुरक्षित किया गया है.
Buddha@Bodhgaya
बोधगया और नालंदा विवि के अवशेष यूनेस्को द्वारा हैं संरक्षित
बिहार में दो साइट यूनेस्को द्वारा संरक्षित हैं वहीं कुछ इसमें शामिल होने की कतार में भी हैं. यूनेस्को ने गया जिले में स्थित बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर कॉम्प्लेक्स को वर्ष 2002 में विश्व विरासत की सूची में लाया था. इस सूची में प्रदेश का दूसरा स्थल नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष हैं जिसे 2016 में सूचीबद्ध किया गया था. विश्व धरोहर की सूची में शामिल होने के लिए प्रदेश में अभी कई अति महत्वपूर्ण स्थल है, जो सम्पूर्ण विश्व में अपनी अलग पहचान रखती है. इनमें प्रमुख है नालंदा जिले के ही राजगीर में स्थित 'साइक्लोपियन वाल' और जहानाबाद जिले में स्थित बराबर एवं नागार्जुनी की गुफायें.
Jain Mandir, Pawapuri
बिहार में 48 आर्कियोलॉजिकल साइट्स हैं संरक्षित
बक्सर में राजा भोज के भग्नावशेष से लेकर मोतिहारी में जॉर्ज ऑरवेल के जन्म स्थान तक बिहार पुरातत्व विभाग ने करीब 13 पुरातत्व स्थलों को पिछले दस वर्षों के अंदर अपने दायरे में लिया है. राज्य के पुरातत्व निदेशालय के शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक, बिहार प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल भग्नावशेष एवं कला निधि अधिनियम, 1976 के तहत संरक्षित स्मारकों की कुल संख्या 48 हो गई है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘अरवल जिले के लारी इलाके में स्थित एक प्राचीन टीले को हाल में संरक्षित घोषित किया गया है. इसके लिए पिछले वर्ष सितंबर में अधिसूचना जारी की गई थी.’ इस सूची में उपनिवेशकालीन जमुई जिले का घंटा घर भी शामिल है.
Manershariff
इसी साल जोड़े गये थे नये संरक्षित स्थल 
बिहार के पुरातत्व विभाग की तरफ से साझा किए गए आंकड़े के मुताबिक 230 वर्ष पुराना ऐतिहासिक गोलघर उन प्रथम छह स्मारकों में शामिल है जिसे 1976 में संरक्षित घोषित किया गया था. पांच अन्य ऐतिहासिक स्थल हैं. अगमकुआं और गुलजारबाग का कमलदह जैन मंदिर, बेगू हज्जाम की मस्जिद और पटना सिटी की छोटी पटन देवी अौरर कंकड़बाग का दुरूखी प्रतिमा. वर्ष 2016 में बक्सर जिले के डुमरांव स्थित राजा भोज के भग्नावशेषों को पुरातत्व विभाग के दायरे में लाया गया जबकि मधुबनी के दवालखा गांव के हरेश्वर नाथ मंदिर को 2015 में इस सूची में शामिल किया गया.
Surya mandir, Dev
ये आर्कियोलॉजिकल साइट्स है संरक्षित: 
गोलघर पटना
अगमकुआं गुलजारबाग, पटना सिटी
बेगू हज्जाम की मस्जिद गुलजारबाग, पटना सिटी
जैन मंदिर, कमलदह गुलजारबाग, पटना सिटी
दो रूखी प्रतिमा कंकड़बाग, पटना
छोटी पटन देवी पटना सिटी
अलावल खां का मकबरा सासाराम
सूर्य मंदिर, कन्दाहा सहरसा
कटरा गढ़ मुजफ्फरपुर
नेपाली मंदिर हाजीपुर
खेरी पुरातत्व स्थल शाहकुंड, भागलपुर
महमूदशाह का मकबरा कहलगांव, भागलपुर
जलालगढ़ किला कसबा, पूर्णिया
आरा हाउस, महाराजा कॉलेज हाता आरा
चौसागढ़ नसरतपुर, बक्सर
दाउद खां का किला दाउदनगर, औरंगाबाद
रामशिला पर्वत गया
प्रेतशिला पर्वत चिरैयारोड, बहादुर बिगहा
विष्णुपद मंदिर गया
ब्रह्नयोनि पहाड़ गया
हजारीमल धर्मशाला बेतिया
मीरा बिगहा जहानाबाद
बाबू कुंवर सिंह जन्म स्थल भोजपुर
जामी मस्जिद वैशाली
मसही कैमूर कैमूर
मुंगेर किला मुंगेर
चिरांद पुरास्थल सारण
ताराडीह बोधगया
निशान सिंह स्मारक रोहतास
अपसढ़ गढ़ व वराह प्रतिमा नवादा
पार्वती पहाड़ नवादा
जार्ज ऑरवेल की जन्मस्थली मोतिहारी
टेकारी किला गया
अहिल्या स्थान दरभंगा
तेल्हाड़ा नालंदा
सोफा मंदिर बेतिया
मॉरिशन बिल्डिंग पटना
लॉर्ड मिंटो टावर जमुई
हरेश्वरनाथ मंदिर मधुबनी
राजा भोज का किला नवरतन गढ़, बक्सर
लारी अरवल
कोटेश्वर धाम गया
लाली पहाड़ी लखीसराय
सतसंडा पहाड़ लखीसराय
घोषीकुंडी पहाड़ लखीसराय
बिछवे पहाड़ लखीसराय
लय लखीसराय
क्या कहते हैं विरासत के जानकार?
बिहार के कण कण में विरासत भरे पड़े हैं. बिहार म्यूजियम प्रदेशवासियों के साथ ही देश भर के लोगों को यहां के विरासत से परिचित करा रहा है. हम न केवल म्यूजियम में विरासत का संरक्षण कर रहे हैं बल्कि नयी पीढ़ी को मनोरंजन के साथ ही पुरानी चीजों की प्रतिकृति के जरिये अवगत करा रहें हैं.
-युसूफ, निदेशक, बिहार म्यूजियम

A Pilgrim @Bodhgaya
जहानाबाद स्थित बराबर की गुफायें भारत की सबसे पहली मानव निर्मित गुफायें हैं, जिसका निर्माण आज से लगभग तेईस सौ साल पहले मौर्य काल में किया गया था. इन्हीं गुफाओं से प्रेरणा लेकर सम्पूर्ण भारत में गुफाओं का निर्माण किया गया. वहीं 'साइक्लोपियन वाल' तो इन गुफाओं से भी अधिक पुराना है जो राजगीर के पहाड़ों पर फैला हुआ है. नयी पीढ़ी को इसके बारे में विस्तृत जानकारी देना आवश्यक इसके बारे में नयी पीढ़ी जितना जानेगी वो अपनी विरासत को उतना जीवन में उतारेगी.
-मणिता पांडे, सचिव, हेरिटेज सोसाइटी
Shanti stupa, Rajgir
बिहार की विरासत उसकी थाती है जिसके संरक्षण की दरकार है. विरासत स्थलों के बारे में लोगों को जानकारी दी जाये इसके साथ ही उन्हें जागरूक भी करते रहना चाहिए कि उसे कैसे सुरक्षित रखें. हम विरासत की सैर को जाएं लेकिन उसकी मर्यादा बरकरार रखें. इससे हमारी विरासत बची रहेगी और उसका संवर्धन हो सकेगा.
-शिव कुमार मिश्र, निदेशक, बिहार रिसर्च सोसाइटी
Mahaveer Mandir, Patna


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