चुनावी यात्रा: नवादा में वारिसलीगंज चीनी मिल मुद्दा नहीं, रजौली के परमाणु बिजली घर के बारे में तो जानकारी भी नहीं


-नवादा संसदीय क्षेत्र में मुद्दे गौण, जाति है हावी
रविशंकर उपाध्याय, नवादा.

नवादा का दूरस्थ इलाका काशीचक. जिला मुख्यालय नवादा से लगभग 60 किमी दूर इसी प्रखंड से हम वारिसलिगंज क्षेत्र के इस प्रखंड में नालंदा के रास्ते दाखिल होते हैं. कभी नरसंहारों के लिए चर्चित हुए इस इलाके से आजकल आवागमन आसान हो चुका है. रेलवे लाइन का दोहरीकरण और विद्युतीकरण अभी पिछले साल ही हुआ है और सड़कें अच्छी हुई है. यहां के शाहपुर चौक पर हमें बलवापर गांव के शशि पांडे, काशीचक के राजीव सिंह, शाहपुर के ही लक्ष्मी सिंह और भूषण सिंह मिलते हैं. ये सभी रजौली में परमाणु बिजलीघर बनाने की यूपीए सरकार की योजना के बारे में नहीं जानते हैं. कभी इलाके के रोजगार का एक बड़ा केंद्र रहे वारिसलिगंज चीनी मिल के मुद्दे के बारे में भी ज्यादा कुछ नहीं बताते हां इनके पास सर्जिकल स्ट्राइक की पूरी जानकारी है. टीवी और व्हाट्सएप ने इनको पूरी खुराक दी है. इसके साथ ही जातिवाद भी यहां पूरी तरह हावी है. शशि पांडे कहते हैं कि गिरिराज सिंह ने इधर कुछ काम नहीं किया केवल खनवां तक ही सीमित रहें हैं. हमारे चीनी मिल को चालू नहीं करा सके. हालांकि वे स्वीकार करते हैं कि अब यहां मिल कोई मुद्दा नहीं रह गया है. केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक सभी ने धोखा दिया है. राजीव, लक्ष्मी और भूषण ने कहा कि मुख्य टक्कर तो चंदन कुमार और विभा देवी के बीच ही मुकाबला होगा.
वारिसलिगंज के चीनी की क्वालिटी पूरे देश में प्रसिद्ध थी

यहां से वारिसलिगंज पहुंचने पर हमें एसएन सिन्हा कॉलेज में हिंदी के रिटायर्ड प्रोफेसर प्रो. अनिरुद्ध प्रसाद चीनी मिल के बारे में विस्तार से बताते हैं. वारिसलीगंज प्रखंड का सुप्रसिद्ध चीनी मिल 1992-93 में पूरी तरह बंद हो गया, इसके बाद हर चुनाव पर इसका मुद्दा खुलता है. कई बरस बीत गये, 20वीं सदी से लोग 21 वीं सदी में आ गये लेकिन अगर कुछ नहीं बदला तो कारखाने का स्वरूप, जीर्ण शीर्ण हालात, लाचार पड़ा सब तंत्र व सयंत्र. कहते हैं कि 1933-34 में खुलने वाले इस चीनी मिल की चीनी पूरे देश में मशहूर थी. मोहिनी सुगर मिल के मालिक करमचंद थापड़ ने पंजाब से आकर इसे खोला था. एक समय तो इसका सलाना उत्पादन 8000 मीट्रिक टन से भी ज्यादा था, 1200 से ज्यादा कर्मचारी इसमें अपनी सेवा देते थे. नवादा ही नहीं शेखपुरा, गया और नालंदा के किसान इसे लाभान्वित होते थे.
पीजी की पढ़ाई के लिए अभी भी परेशानी, माहौल खराब होने पर दुखी हैं अल्पसंख्यक

पकरीबरांवा से नवादा शहर में हम दाखिल होते हैं तो पत्रकारिता की छात्रा रही मेनका कुमारी कहती हैं कि लड़कियों के लिए कई मुद्दे हैं नवादा में. हमें अभी तक पीजी की पढ़ाई के लिए कोई स्पेसिफिक कॉलेज नहीं मिला है. लेकिन इससे किसी को वास्ता नहीं है. यही कारण है कि जिले में लड़कियां ग्रेजुएशन के तुरंत बाद ही ब्याह दी जाती हैं. पोस्ट ग्रेजुएशन पढ़ने की चाह रखने वाली लड़कियों को बिहारशरीफ, गया या पटना की राह देखनी होती है. प्रजातंत्र चौक के पास दुकान चलाने वाले मो. सलाम कहते हैं कि नवादा अपनी राह पर चल ही रहा है लेकिन पिछले साल जो दंगे हुए वह दुखद थे. ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोई सांसद दंगे के आरोपी को छुड़ाने के लिए जेल पहुंच जाये.
रजौली परमाणु बिजलीघर को हवा हवाई मानते हैं लोग

रजौली में न्यूक्लियर पॉवर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने परमाणु बिजलीघर स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है. इस परियोजना पर करीब 70 हजार करोड़ रुपए के निवेश करने की जानकारी पिछले साल अप्रैल महीने में राज्य के उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह ने दी थी. राज्य सरकार ने इसके लिए एक हजार एकड़ जमीन चिह्नित कर दी है लेकिन इसे स्थानीय लोग हवा हवाई ही मानते हैं. स्थानीय विनय कुमार पांडे कहते हैं कि यूपीए के दौर से अब तक ढ़ाई कोस की ही यात्रा हुई है. इस योजना के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है. 

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