पटना में 500 रुपये से शुरू हुआ था रावण वध आयोजन, अब बजट 25 लाख तक पहुंचा

-गांधी मैदान में 1955 से शुरू हुआ था रावण वध, 1965 और 1971 में चीन और पाकिस्तान से युद्ध के कारण नहीं हुआ आयोजन 
रविशंकर उपाध्याय4पटना.
पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में रावण वध की परंपरा 1955 से चली आ रही है. उस वक्त 500 रुपये में रावण वध का पूरा आयोजन हो गया था, वही बजट 2018 में लगभग 25 लाख रुपये तक पहुंच गया है. इसके साथ ही लोगों का रुझान इतना बढ़ा कि चार लाख लोग गांधी मैदान में इस ऐतिहासिक आयोजन को देखने पहुंच रहे हैं. इस परंपरा में केवल तीन बार व्यवधान आया वह भी राष्ट्रीय आपदाओं को लेकर. 1965 और 1971 में चीन और पाकिस्तान से युद्ध के कारण आयोजन नहीं किया गया और इस मद की राशि राष्ट्रीय आपदा कोष में दान दे दी गयी थी. वहीं 1975 में पटना में भयंकर बाढ़ के कारण रावण वध का कार्यक्रम स्थगित रखा गया था और इस मद की राशि राज्य आपदा कोष में दे दी गयी थी. श्री दशहरा कमेटी के वर्तमान अध्यक्ष कमल नोपानी कहते हैं कि पटना में रावणवध की परंपरा ऐसी है कि राज्य के सभी गणमान्य लोग इसमें भाग लेना चाहते हैं और यहां लोगों को मुफ्त में आने की सुविधा मिलती है. 
बक्शीराम गांधी ने रावण वध कार्यक्रम की शुरुआत
श्री दशहरा कमेटी की स्थापना कर रावण वध की शुरुआत बक्शीराम गांधी, मोहनराम गांधी, राधाकृष्ण मल्होत्रा, पीके कोचर, टीआर मेहता आदि ने की थी. कमेटी के ट्रस्टी सह सचिव अरुण कुमार कहते हैं कि पहला रावण दहन कार्यक्रम केवल 500 रुपये में संपन्न हुआ था. इसके बाद कमेटी की बागडोर अध्यक्ष बनवारीलाल राजगढ़िया और सचिव डॉ तिलकराज गांधी ने संभाली और इसकी प्रसिद्धि में और इजाफा हुआ. अरुण कुमार स्वयं 1987 में सचिव बने तो उस साल का रावणवध समारोह का खर्च 70 हजार रुपये हुआ था जो इस साल तक लगभग 25 लाख पहुंच गया है. 
2006 से मिलर स्कूल मैदान में शुरू हो गयी रामलीला
श्री दशहरा कमेटी के तत्वावधान में ही 2006 में लोगों की मांग पर रामलीला की शुरुआत कर दी गयी. सबसे पहले मिलर स्कूल में इसकी शुरुआत हुई. 2008 में रामलीला गांधी मैदान में कराया गया था और अब पिछले तीन सालों से नागाबाबा ठाकुरबाड़ी में इसका आयोजन किया जा रहा है. अध्यक्ष कमल नोपानी और सचिव अरुण कुमार कहते हैं कि रावणवध और रामलीला आयोजन में पटना के गणमान्य लोगों के साथ  जिला प्रशासन का भी भरपूर योगदान मिलता है. इसके कारण त्योहार निर्विघ्न संपन्न होते हैं.   
इस साल 450 मीटर कपड़े में लिपटे हैं रावण बंधु, कोलकाता के पटाखे से जलेगा
इस बार गांधी मैदान में ही रावण बनाया जा रहा है. जहां रावण के पुतले की लंबाई 70 फीट है वहीं कुंभकर्ण 65 और मेघनाथ 60 फीट का बनाया जा रहा है.  450 मीटर कपड़े में लिपटे रावण बंधु को कोलकाता के पटाखों से जलाया जयेगा. सभी पुतले बांस, पेपर और कपड़े से बनाये जा रहे हैं. बांस को  काटकर उन्हें पुतलों की आकृति में ढाला गया है. उस आकृति पर पेपर लगाकर  पेंट किया जा रहा है. पुतलों को बनाने में करीब 150 पीस बांस, एक क्विंटल से  ज्यादा पेपर, 40 किलो सूती सुतली और 450 मीटर कपड़ा लग रहा है. फ्लैक्स के जरिये रावण के दसों सिर और  आंख की आकृति बनायी जाएगी. इस  बार पटाखे लगाने वाले कोलकाता से आ रहे हैं. लगभग 300 पटाखे इन पुतलों में  भरे जायेंगे. रावण दहन के पहले और बाद में भी दर्शकों को शानदार आतिशबाजी  देखने को मिलेगी.  गया के मो. जफर हसन द्वारा बनाए गए रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के विशालकाय पुतले पर श्री राम विजयादशमी को तीर छोड़ेंगे.  जफर अपने आठ सहयोगियों के साथ 19 सितम्बर से इसके निर्माण में जुटे हैं. मो. जफर हसन पिछले दस वर्षों से यहां पुतला बनाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने यह कला अपने पिता से सीखी है. वे कहते हैं कि बुराई के प्रतीक रावण के पुतलों को जलता देख उन्हें बहुत खुशी होती है. 

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