देश से बाहर जाकर भी बिहार को नहीं भूल सके ये बिहारी, स्टूडेंट के वेलफेयर के लिए कर रहे ये काम

-खगड़िया और शेखपुरा में शुरू किया प्रोजेक्ट ज्योति, इसका अन्य जिलों में भी विस्तार करने पर कर रहे प्लान
-बिहार फ्रेटरनिटी ने शुरू की है यह योजना, सरकारी स्कूल के बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं
-बिहार बोर्ड के छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के लिए आगे आये अप्रवासी बिहारी
रविशंकर उपाध्याय4पटना 

बिहारी कहीं भी रहें उनका दिल बिहार में ही बसता है. अब चाहे वे सात समंदर पार रहते हों या फिर भारत के किसी सुदूर प्रदेश में निवास करते हों. बिहार की अच्छी खबरें उन्हें आह्लादित करती हैं और अपने प्रदेश के बारे में निगेटिव खबरें उन्हें काफी परेशान भी करती हैं. बिहार बोर्ड से पढ़ने वाले छात्रों और टॉपरों के बारे में हो रहे विवाद या मजाक ने उन्हें इतना प्रभावित किया है कि यूरोप में रहने वाले बिहारियों ने “बिहार फ्रेटर्निटी” नामक एक समूह बना लिया और प्रोजेक्ट ज्योति योजना की शुरुआत कर दी है.
इसी साल 26 मई को जर्मनी की राजधानी बर्लिन में आयोजित बिहार दिवस समारोह में प्रोजेक्ट ज्योति की नींव रखी गयी, जिसके तहत बिहार के दो गांवों के हाईस्कूल के कुछ गरीब बच्चों को रोज़ाना विद्यालय के अलावा मुफ़्त शिक्षा देने का फैसला किया गया था और जून से इसकी शुरुआत भी कर दी गयी है. इस क्लास में मैथ के साथ ही साइंस और इंग्लिश की शिक्षा दी जाती है. खगड़िया के दिघौन गांव में जहां कक्षा 9 वीं के 18 छात्र हैं वहीं मिडिल स्कूल के 25 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. वहां तीन शिक्षक के साथ एक व्यवस्थापक भी नियुक्त किये गये हैं. वहीं शेखपुरा के जमालपुर गांव में 20 स्टूडेंट अध्ययन कर रहे हैं. इसमें कक्षा नौ के सभी छात्र हैं. यहां एक व्यवस्थापक के साथ एक शिक्षक रखे गये हैं.
“बिहार फ्रेटर्निटी” की नींव रखने वाले प्रकाश शर्मा कहते हैं कि असल में हमारा लक्ष्य 9 वीं कक्षा के 15-20 छात्रों को चुनना है और उन्हें देश के सर्वश्रेष्ठ छात्रों के बराबर बनाने के लिए तैयार करना है. हम धीरे-धीरे बिहार के अन्य गांवों में इस मॉडल को दोहराएंगे. बीच-बीच में जर्मनी में रह रहे बिहारियों द्वारा भी विशेष क्लास ली जाती है और एक एप भी डेवलप किया जा रहा है ताकि ऑनलाइन कंटेंट मुहैया करायी जाये. इसका परिणाम देख कर और प्रदेश के और जगहों पर इसकी  शुरुआत की जायेगी.
क्या है बिहार फ्रेटर्निटी? 
‘बिहार फ्रेटर्निटी’ की नींव रखने वाले प्रकाश शर्मा का जन्म पटना में हुआ है. मूल रूप से जहानाबाद के रहनेवाले प्रकाश के पिता डॉक्टर हैं. प्रकाश पिछले छह वर्षों से जर्मनी में एक जापानी कंपनी में टेक्निकल मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं. प्रकाश कहते हैं कि बिहारियों को लगता था कि जर्मनी में बिहारी एक्का-दुक्का ही हैं. इतनी बड़ी आबादी का प्रतिनिधित्व ना हो वो ये मानने को तैयार नहीं थे. इसी अवधारणा को तोड़ने के लिए उन्होंने एक साल पहले यूरोप में रह रहे बिहारियों के लिए एक फेसबुक ग्रुप बनाया. इसमें बिहार से संबंधित जानकारियां दी जाती थीं और सवाल पूछे जाते थे. इसी क्रम में लोग जुड़ते गये. फिर जर्मनी के विभिन शहरों में प्रवासी बिहारियों के लिए मिलन समारोह करवाया गया जिसमें बिहार पर चर्चा होती और वह भी बिहारी भाषाओं में. ऐसे ही करते-करते ये ग्रूप एक वृहद संस्था का रूप ले लिया जिसका नाम “बिहार फ्रेटर्निटी” रखा गया.
यह एक ग्लोबल फ़ोरम है, इसका मक़सद यूरोप में रह रहे बिहारियों की मदद करना, बिहार के पर्व को मिलजुल कर मनाना, बिहार को एक ग्लोबल ब्रांड बनाना और साथ ही जो बिहार में रह कर बिहार को सींच रहे हैं उनके जीवन में अच्छा बदलाव लाने में मदद करना शामिल है. शेखपुरा के अरविंद सिन्हा को संस्था का अध्यक्ष बनाया गया है. आठ लोगों की कोर कमेटी में प्रकाश शर्मा और अरविंद सिन्हा के अलावा रोशन झा (मधुबनी), रवि बरनवाल (पटना), सुधांशु शेखर (मुजफ्फरपुर), ज़ुल्फिकार अरफ़ी, कुमार राहुल (ख़गड़िया) और सत्येष शिवम (सीतामढ़ी) भी शामिल हैं. अभी संस्था से केवल जर्मनी में 400 से ज़्यादा सदस्य जुड़े हुए हैं, वो भी अलग अलग परिवेश के. त्रिवागो ऐड बॉय “अभिनव कुमार”,  मधुबनी मूल के जर्मन अभिनेता “प्रशांत प्रभाकर” और मोतिहारी मूल के जर्मन लेखक “अनंत कुमार” भी इसके सदस्य हैं.

Comments

  1. महोदय,
    मैं भी इस संस्था से जुड़ना चाहता हू, कृपया मार्गदर्शन करे.

    ReplyDelete

Post a Comment