खबरों की खबर-
आज सुबह सुबह एक खबर देखी. खबर यह है कि पब्लिक अफेयर सेंटर (पीएसी)नामक एक संगठन के द्वारा 22 जुलाई 2018 को जारी पब्लिक अफेयर्स इंडेक्स (पीएआई) 2018 के अनुसार केरल देश में सबसे बेहतर प्रशासित राज्य है और बिहार सबसे खराब. खबर में यह कहा गया कि देश में बेहतर तरीके से शासन करने को लेकर एक सूचकांक जारी हुआ है. कहा जा रहा है कि केरल वर्ष 2016 से ही बड़े राज्यों की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ प्रशासित राज्य रहा है. यह सूचकांक वर्ष 2016 से राज्यों की शासन व्यवस्था पर सालाना आधार पर जारी हो रहा है. इस रिपोर्ट में राज्यों के सामाजिक और आर्थिक विकास के आंकड़ों के आधार पर शासन-व्यवस्था के प्रदर्शन की रैंकिंग की जाती है. सूचकांक को राज्यों के इंफ्रास्ट्रक्चर, मानव विकास में मददगार परिस्थितियों, सामाजिक सुरक्षा, कानून-व्यवस्था, महिलाओं-बच्चों की स्थिति के आकलन के आधार पर तैयार किया गया है. इस खबर को खूब शेयर भी किया जा रहा है. बड़े पत्रकार और एक्टीविस्ट सब इस खबर को यह मानकर चल रहे हैं कि जैसे यह राष्ट्रीय सर्वे हो और साल भर की अथक मेहनत के बाद तैयार किया गया हो.
पब्लिक अफेयर्स इंडेक्स कोई प्रमाणिक अध्ययन नहीं है
मैंने जब थोड़ी सी तफ्तीश की तो पता चला कि पब्लिक अफेयर्स इंडेक्स की नींव वर्ष 1994 में रखी गई थी. यह कितनी बड़ी वेबसाइट है, इसका पता आपको इसी बात से चलेगा कि मैं इस साइट को क्लिक करने वाला 6387 वां व्यक्ति हूं. इस संस्था के संस्थापक डॉ सैमुअल पॉल केरला के ही निरानमा गांव के रहने वाले हैं जो तिरुवला जिले में स्थित है. लेकिन सवाल केवल इसी का नहीं है कि इसके संस्थापक केरल के हैं. इनकी बहुचर्चित रिपोर्ट जिसे पब्लिक इंडेक्स रिपोर्ट कहा जा रहा है उसमें आंकड़े इनके अध्ययन वाले नहीं हैं. अपने वेबसाइट पर इस संगठन ने कहा है कि पीएआई के आंकड़े को केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों से निकाले गये हैं.
अपनी रिपोर्ट को प्रभावी साबित करने के लिए इस संगठन ने कहा है कि पीएआई 2018 में 10 व्यापक विषयों, 30 फोकस विषयों और 100 संकेतकों का एक हिस्सा शामिल है. इसके अलावा, भारत के बच्चों पर एक विशेष अध्याय है जिसमें हम अपने भविष्य के नागरिकों से निपटने के तरीके के बारे में विभिन्न मुद्दों का विस्तार करते हैं.
मोरल ऑफ द स्टोरी यही है कि एक बढ़िया पीआर कंपनी चुनो और अपने टुच्चे एनजीओ की खबर को पूरे देश में प्रकाशित करा लो.
आज सुबह सुबह एक खबर देखी. खबर यह है कि पब्लिक अफेयर सेंटर (पीएसी)नामक एक संगठन के द्वारा 22 जुलाई 2018 को जारी पब्लिक अफेयर्स इंडेक्स (पीएआई) 2018 के अनुसार केरल देश में सबसे बेहतर प्रशासित राज्य है और बिहार सबसे खराब. खबर में यह कहा गया कि देश में बेहतर तरीके से शासन करने को लेकर एक सूचकांक जारी हुआ है. कहा जा रहा है कि केरल वर्ष 2016 से ही बड़े राज्यों की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ प्रशासित राज्य रहा है. यह सूचकांक वर्ष 2016 से राज्यों की शासन व्यवस्था पर सालाना आधार पर जारी हो रहा है. इस रिपोर्ट में राज्यों के सामाजिक और आर्थिक विकास के आंकड़ों के आधार पर शासन-व्यवस्था के प्रदर्शन की रैंकिंग की जाती है. सूचकांक को राज्यों के इंफ्रास्ट्रक्चर, मानव विकास में मददगार परिस्थितियों, सामाजिक सुरक्षा, कानून-व्यवस्था, महिलाओं-बच्चों की स्थिति के आकलन के आधार पर तैयार किया गया है. इस खबर को खूब शेयर भी किया जा रहा है. बड़े पत्रकार और एक्टीविस्ट सब इस खबर को यह मानकर चल रहे हैं कि जैसे यह राष्ट्रीय सर्वे हो और साल भर की अथक मेहनत के बाद तैयार किया गया हो.
पब्लिक अफेयर्स इंडेक्स कोई प्रमाणिक अध्ययन नहीं है
मैंने जब थोड़ी सी तफ्तीश की तो पता चला कि पब्लिक अफेयर्स इंडेक्स की नींव वर्ष 1994 में रखी गई थी. यह कितनी बड़ी वेबसाइट है, इसका पता आपको इसी बात से चलेगा कि मैं इस साइट को क्लिक करने वाला 6387 वां व्यक्ति हूं. इस संस्था के संस्थापक डॉ सैमुअल पॉल केरला के ही निरानमा गांव के रहने वाले हैं जो तिरुवला जिले में स्थित है. लेकिन सवाल केवल इसी का नहीं है कि इसके संस्थापक केरल के हैं. इनकी बहुचर्चित रिपोर्ट जिसे पब्लिक इंडेक्स रिपोर्ट कहा जा रहा है उसमें आंकड़े इनके अध्ययन वाले नहीं हैं. अपने वेबसाइट पर इस संगठन ने कहा है कि पीएआई के आंकड़े को केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों से निकाले गये हैं.
अपनी रिपोर्ट को प्रभावी साबित करने के लिए इस संगठन ने कहा है कि पीएआई 2018 में 10 व्यापक विषयों, 30 फोकस विषयों और 100 संकेतकों का एक हिस्सा शामिल है. इसके अलावा, भारत के बच्चों पर एक विशेष अध्याय है जिसमें हम अपने भविष्य के नागरिकों से निपटने के तरीके के बारे में विभिन्न मुद्दों का विस्तार करते हैं.
मोरल ऑफ द स्टोरी यही है कि एक बढ़िया पीआर कंपनी चुनो और अपने टुच्चे एनजीओ की खबर को पूरे देश में प्रकाशित करा लो.
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