-संस्थान की दो टीमों ने किया म्यूजियम का दौरा, डिजाइन पर मांगी मदद
पटना.
बिहार म्यूजियम के डिजाइन को मिल रही अंतरराष्ट्रीय वाहवाही के बीच खबर यह है कि यहां के डिजाइन से अार्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया भी प्रभावित है. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की इकाई इंस्टीट्यूट आॅफ आर्कियोलॉजी ग्रेटर नोएडा में अपना नया भवन और नेशनल म्यूजियम बनाने जा रही है. इसके डिजाइन के लिए अधिकारियों की टीम देश भर के म्यूजियम में घूम रही है और एक समग्र अध्ययन कर रही है. इस कड़ी में बिहार म्यूजियम में अध्ययन के लिए एएसआई की एडिशनल डायरेक्टर जनरल उर्मिला शांत और निदेशक जाह्नवी शर्मा की अगुवाई में टीम ने दो बार दौरा किया है. एएसआई की टीम यह चाहती है कि बिहार म्यूजियम की शानदार डिजाइन नेशनल म्यूजियम में भी झलके. बुधवार को इंस्टीट्यूट ऑफ आर्कियोलॉजी के निदेशक डॉ संजय मंजुल ने भी बिहार म्यूजियम को देखा. उन्होंने प्रभात खबर को बताया कि बिहार म्यूजियम का डिजाइन निस्संदेह काफी बढ़िया है. उन्हें यहां यह भी पता चला कि रोज तीन हजार से चार हजार तक घरेलू पर्यटक यहां भ्रमण के लिए पहुंच रहे हैं. यह किसी भी म्यूजियम के लिए शानदार उपलब्धि है. मालूम हो कि राज्य सरकार द्वारा बिहार संग्रहालय के निर्माण की दिनांक 26 नवंबर, 2009 को मंत्रिपरिषद की बैठक में सैद्धान्तिक स्वीकृति देते हुए,यह प्रावधान किया गया कि यह संग्रहालय अंतरराष्ट्रीय स्तर का हो और निर्माण, प्रदर्शन आदि पर वैश्विक मानदंडों का पालन किया जाये. मैकी एंड एसोसिएट्स टोकियोऔर ओपोलिस मुंबई के द्वारा बिहार संग्रहालय के भवन का डिजाइन तैयार किया गया है. कुल 24,000 वर्ग मीटर में बिहार संग्रहालय फैला हुआ है.
इसी साल दो अंतरराष्ट्रीय अवार्ड जीत चुका है बिहार म्यूजियम

बिहार म्यूजियम की हर दीर्घा है खास
नालंदा, विक्रमशिला और ओदंतपुरी शिक्षण संस्थानों ने दुनिया भर के छात्रों और शिक्षकों को आकर्षित किया. इस दौरान समाज में घटित घटनाओं को पुरावशेषों, कलाकृतियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है. जिसमें टेराकोटा, प्रस्तर प्रतिमा, सिक्के एवं धातु प्रतिमाएं हैं. इतिहास दीर्घा सी में बिहार के मध्यकालीन इतिहास में घटित घटनाओं को पुरावशेषों कलाकृतियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है. यह दीर्घा हमें विभिन्न सत्ताओं के स्थानांतरण से अवगत कराता है, जिसमें शेरशाह शूरी जैसे शासक ने अपने पांच साल के सुशासन को सदृढ़ किया. इस कालखंड के दौरान समाज में घटित घटनाओं को पुरावशेषों व कलाकृतियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है. जिसमें वीदरी कला, चित्रों, प्रस्तर प्रतिमा, सिक्के एवं धातु प्रतिमाएं है. डी दीर्घा में बिहार संग्रहालय की विशिष्ट कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है. ये कलाकृतियां बिहार के 2000 वर्षो के उल्लेखनीय एवं उत्कृष्ट कला और शिल्प कौशल के विकास को दर्शाती है. जिसमें मौर्य कालीन दीदारगंज यक्षी प्रमुख है, जो इस काल में कला की पराकष्ठा को दर्शाता है.
चीन से आये कलाकार बना रहे पांचवीं गैलरी
इसके साथ ही पांचवीं गैलरी का भी काम यहां किया जा रहा है, जहां पर चीन से आये विशेषज्ञ कलाकार निर्माण कर रहे हैं. यहां मूल रूप से कुर्किहार और तेल्हाड़ा से मिली मूर्तियों का प्रदर्शन किया जायेगा. विश्व प्रसिद्ध कलाकार सुबोध गुप्ता को आर्ट यहां का खास आकर्षण है. बुद्ध के आंगन में लगायी गयी इनकी कृति को अब आमलोगों के दीदार के लिए लगा दिया गया है. वे इस कला में घरेलू उपयोग की वस्तुएं मसलन फ्रीज, वाशिंग मशीन, बाल्टी, माइक्रोवेव अवन से लेकर सिलाई मशीन तक का उपयोग कर चुके हैं. यंत्रा नामक इस खास आर्ट को बनाने के लिए सुबोध गुप्ता को राज्य सरकार ने आमंत्रित किया था. जिसके बाद उन्होंने पिछले साल इसका निर्माण किया था.
''हम देश भर के म्यूजियम का अध्ययन कर रहे हैं ताकि ग्रेटर नोएडा में बनने वाला नेशनल म्यूजियम एक बेहतरीन म्यूजियम बने. इसी कड़ी में बिहार म्यूजियम ने काफी प्रभावित किया है. म्यूजियम को लेकर हम सभी अच्छे कलेक्शन को रिप्रजेंट करने की तैयारी में हैं.''
-संजय मंजोल, निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ आर्कियोलॉजी, नई दिल्ली
''बिहार म्यूजियम एक बेहतरीन डिजाइन और सुविधाओं वाला म्यूजियम है. यह ऐसा म्यूजियम है जहां आकर आप यह महसूस करते हैं कि दुनिया के किसी खूबसूरत म्यूजियम में आ गये हैं. यह म्यूजियम आर्कियोलॉजी के साथ ही कंटेम्परेरी आर्ट का बेहतरीन केंद्र है.''
-युसूफ, निदेशक, बिहार म्यूजियम
Comments
Post a Comment