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नालंदा के पावापुरी में इतिहास होने वाली है अखंड बंगाल की मुर्शिदाबाद हेरिटेज बिल्डिंग |
-जलमंदिर के पास बनाया गया धर्मशाला अब तोड़ा जा रहा है
-नये धर्मशाला के निर्माण की वजह से किया जा रहा है ध्वस्त
पटना। रविशंकर उपाध्याय
पावापुरी में अखंड बंगाल की इकलौती निशानी मुर्शिदाबाद जैन धर्मशाला कुछ ही दिनों में इतिहास का हिस्सा होने वाली है। अखंड बंगाल में जब बिहार बंगाल का हिस्सा हुआ करता था उस वक्त 1876 ई में मुर्शिदाबाद के सेठ लक्ष्मीचंद ने इस धर्मशाला का निर्माण किया था। उन्होंने जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की निर्वाण स्थली जलमंदिर के पास एक बड़े धर्मशाला का निर्माण कराया था जिसमें 50 से ज्यादा कमरे थे। इसके अलावा एक बड़ा आंगन था जिसमें बड़ा बागीचा भी था। पिछले साल जैन श्वेतांबर प्रबंधन पावापुरी से हुई डील के बाद इस हेरिटेज बिल्डिंग को अंदर से ध्वस्त कर दिया गया है। केवल निर्माण कार्य के लिए चारो तरफ की दीवारें ही बची हुई है। इसके ध्वस्त होने के कारण इतिहास प्रेमी और स्थानीय लोगों में काफी निराशा है।
मुगलिया शैली में बना है भवन, मुख्य गेट का भी स्थापत्य है बेजोड़
यह मुर्शिदाबाद भवन मुगलिया शैली में बना हुआ है। इसके चारो कोनों पर मेहराब हैं और मुख्य गेट के पास त्रिकोण छत बनाया गया था। मुख्य गेट की स्थापत्य कला इतनी बेहतरीन थी कि जो भी इसे देखता था बस देखता ही रह जाये। लेकिन नये धर्मशाला के निर्माण के कारण ना इस भवन की ऐतिहासिकता का ख्याल रखा गया और ना ही इस भवन के स्थापत्य कला को सहेजने का ख्याल ही जैन श्वेतांबर प्रबंधन ने रखा। इसके कारण यह हेरिटेज बिल्डिंग अब यादों का हिस्सा बनने की राह पर है।
इस भवन के कारण जलमंदिर का पुल को बनाया गया था तिरछा
इस भवन की ऐतिहासिकता का ख्याल 1920 और 30 के दशक में भी रखा गया था जब जलमंदिर के स्ट्रक्चर पर संगमरमर मढवाया गया था। यहां के पुराने लोग बताते हैं कि सेठ पूनमचंद सेठिया ने जब कच्चे पुल को लाल पत्थर का पुल बनाने की योजना बनायी तो उसकी सीध में उस वक्त यही भवन आ रहा था। पुल निर्माण से इस भवन को उस वक्त खतरा आ रहा था, इसके बाद वास्तुकारों ने कहा कि पुल को यदि तिरछा बना दिया जाये तो यह ऐतिहासिक भवन बरकरार रह जायेगा। लेकिन आज लगभग सौ साल के बाद आज के लोगों ने इसका ख्याल नहीं रखा और यह भवन अब जमींदोज होने के कगार पर खड़ा है।
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