#BlissfulBihar: नालंदा के सूरज पुर गांव में देख सकेंगे सारा बिहार

-पर्यटन विभाग नालंदा में 500 करोड़ की लागत से बना रहा है सांस्कृतिक ग्राम
-देसी-विदेशी टूरिस्टों को आकर्षित करने की है योजना
-70 एकड़ में बनेगा पांच सितारा होटल, खेल का मैदान, पार्क और हेलिपैड
रविशंकर उपाध्याय4पटना

बिहार ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों की भूमि है जिसे देखने के लिए हर साल सैंकड़ों की तादाद में देसी और विदेशी टूरिस्ट आते हैं. इसके लिए हर यात्री को लंबा सफर तय करना पड़ता है, बस-ट्रेन से लेकर अपने वाहन से चक्कर लगाना होता है. ऐसे में यदि बिहार के सभी प्रमुख सांस्कृतिक धरोहर एक ही गांव में मौजूद हों तो फिर कितना अच्छा होगा ना? हमारी इसी कल्पना को बिहार सरकार हकीकत के रूप में साकार कर रही है. बिहार सरकार का पर्यटन विभाग नालंदा के सूरज पुर गांव में एक ऐसा सांस्कृतिक ग्राम बना रही है. इस गांव में बिहार के सभी सांस्कृतिक धरोहर बनाये जायेंगे. यहां ना केवल ऐतिहासिक धरोहर होंगे बल्कि बिहार की पहचान बन चुकी कला और संस्कृति भी प्रदर्शित की जायेगी. इसमें पांच सितारा होटल होगा, पार्क होंगे, खेल के मैदान होंगे और हेलिपैड भी बनाया जायेगा.
500 करोड़ की लागत से बना रहा है सांस्कृतिक ग्राम
सूरज पुर में 70 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है जिस पर लगभग 500 करोड़ की लागत से सांस्कृतिक ग्राम बनाया जायेगा. इसका डीपीआर जल्द ही आयेगा, प्लान प्रोजेक्ट पर काम लगभग फाइनल हो चुका है. ग्लोबल टेंडर में विश्व की ख्यातिनाम कंपनियां सांस्कृतिक ग्राम बनाने का काम करेगी. इसमें फेज वाइज काम होगा जिसकी शुरुआत हो चुकी है. अभी बाउंड्री वाल बना दिया गया है. जमीन अधिग्रहण में ही 100 करोड़ से ज्यादा सरकार खर्च कर चुकी है. पर्यटन व संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए यहां सांस्कृतिक ग्राम बनाया जाएगा. इससे यहां की विरासत को एक स्टेज तो मिलेगा ही साथ ही वैश्विक पहचान भी मिलेगी.
सांस्कृतिक ग्राम में होंगे प्रमुख ऐतिहासिक धरोहरों की प्रतिकृति: 
गया और बोधगया: गया में विष्‍णुपद मंदिर प्रमुख है. दंतकथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के पांव के निशान पर इस मंदिर का निर्माण कराया गया है. यहां का पितृपक्ष मेला तो देश और दुनिया में काफी मशहूर है . यहां फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से मृत व्यक्ति को बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है. बौद्ध धर्म के संस्‍थापक भगवान बुद्ध को बोधगया में बोधज्ञान प्राप्‍त हुआ था, इसी कारण से ये शहर बिहार के सबसे प्रसिद्ध स्‍थलों में से एक है.
मुंगेर का योग स्कूल: मुंगेर का बिहार स्कूल ऑफ़ योगा पूरी दुनिया में योग प्रेमियों के लिए तीर्थ स्थली है. हम इस जगह पर एक बड़े विदेशी भीड़ की अपेक्षा कर सकते हैं. मुंगेर एक बार मीर कासिम की राजधानी थी. इस जगह में कई ऐतिहासिक अवशेष हैं जो कि यहां आकर्षण को जोड़ते हैं. मुंगेर में ऐतिहासिक क़िला है. यहाँ पर सीताकुंड नामक प्रमुख कुंड है.

नालंदा विश्वविद्यालय: विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्‍वविद्यालय भारत ही नहीं दुनिया में एक एक गौरव था इस विश्‍व विद्यालय की स्‍थापना 450 ई॰ में गुप्त शासक कुमारगुप्‍त ने की थी. नालंदा दुनिया भर में प्राचीन काल में सबसे बड़ा अध्ययन का केंद्र था दुनिया भर के छात्र यहां पढाई करने आते थे. चीनी यात्री हेनसांग ने नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध दर्शन, धर्म और साहित्य का अध्ययन किया था.
गोल घर और तख्त हरमंदिर साहिब: पटना सिख भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ है क्योंकि इनके अंतिम सिख गुरु गुरु गोबिंद सिंह का जन्मस्थान है. तख्त हरिमंदिर साहिब गुरुद्वारा बिहार की बड़ी पहचान है. इसके साथ ही गोलघर भी एक ऐसी ऐतिहासिक इमारत है जिसका स्थापत्य सबको आकर्षित करता है.
वैशाली का स्तूप: वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र कायम किया गया था. वैशाली जिला भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलम्बियों के लिए एक पवित्र नगरी है. वैशाली में अशोक स्‍तंभ , बौद्ध स्‍तूप, विश्व शांति स्तूप को देखने दुनिया भर से लोग आते हैं.
सीतामढ़ी मंदिर: माँ सीता के जन्मस्थली से विख्यात सीतामढ़ी को सीता के जन्मस्थान के रूप में माना जाता है, सीतामढ़ी के पूनौरा नामक स्थान पर जब राजा जनक ने खेत में हल जोते, तो उस समय धरती से सीता जी का जन्म हुआ था. सीता जी के जन्म के कारण इस नगर का नाम सीतामढ़ी पड़ा. सीतामढ़ी के प्रमुख पर्यटन स्थल जानकी स्थान मंदिर, हलेश्वर स्थान , पंथ पाकड़ , बगही मठ आदि प्रमुख है. यहां हिंदुओं की गहरी आस्था है.
जल मंदिर, पावापुरी: जल मंदिर पावापुरी एक महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल है . यह जैन धर्म के मतावलंबियो के लिये एक अत्यंत पवित्र शहर है क्यूंकि माना जाता है कि भगवान महावीर को यहीं मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. इस खूबसूरत मंदिर का मुख्य पूजा स्थल भगवान महावीर की एक प्राचीन चरण पादुका है. मंदिर का स्थापत्य शानदार है.


शेरशाह सूरी मक़बरा, सासाराम: इसे स्वयं शेरशाह सूरी ने अपने जीवन काल में 1545 ईस्वी में बनवाया था यह भारत में भारत-इस्लामी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. वास्तुकला शानदार और एक कृत्रिम झील के बीच में ये मक़बरा बना है, वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना होने के कारण संयुक्त राष्ट्र ने 1998 में इस मकबरे को विश्व धरोहरों की सूची में स्थान दिया. यह मकबरा 1130 फीट लंबे और 865 फीट चौड़े तालाब के मध्य में स्थित है. तालाब के मध्य में सैंड स्टोन के चबूतरे पर अष्टकोणीय मकबरा सैंडस्टोन तथा ईंट से बना है. इसका गोलाकार स्तूप 250 फीट चौड़ा तथा 150 फीट ऊंचा है. इसकी गुंबद की ऊंचाई ताजमहल से भी दस फीट अधिक है.
विक्रमशिला विश्वविद्यालय : भागलपुर शहर से करीब 50 किलोमीटर पूरब में कहलगांव के पास अंतीचक गांव स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय का खंडहर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी है. इस विश्वविद्यालय की स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल ने आठवीं सदी के अंतिम वर्षों या नौवीं सदी की शुरुआत में की थी. करीब चार सदियों तक वजूद में रहने के बाद तेरहवीं सदी की शुरुआत में यह नष्ट हो गया था.
केसरिया स्तूप, केसरिया (पूर्वी चंपारण) : केसरिया स्तूप भारत में सबसे बड़ा और सबसे बड़ा बुद्ध स्तूप माना जाता है, केसरिया स्तूप बिहार पर्यटन के प्रमुख आकर्षणों में से एक है. माना जाता है कि राजा चक्रवर्ती के शासन के तहत 200 और 750 ई के बीच स्तूप का निर्माण किया गया था. 104 फीट की ऊंचाई के साथ, यह एक भव्य और शानदार संरचना है जिसे सभी को एक बार ज़रूर देखना चाहिए .
एक सांस्कृतिक ग्राम में सभी सांस्कृतिक धरोहर: प्रमोद कुमार, पर्यटन मंत्री
बिहार के पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार ने प्रभात खबर से खास बातचीत में बताया कि एक सांस्कृतिक ग्राम में हम बिहार के सभी सांस्कृतिक धरोहर को उतारेंगे. हमने 70 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया है. वहां पर काम जल्द ही शुरू कर रहे हैं. डीपीआर एक्सपर्ट बना रहे हैं. इसका ग्लोबल टेंडर किया जायेगा. कम से कम 500 करोड़ की लागत इसमें आयेगी. यह राशि घट बढ़ भी सकती है. सांस्कृतिक ग्राम में जाकर पर्यटक बिहार के सभी धरोहर को एक साथ देख सकेंगे.  

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