ट्रैवलॉग: नेतरहाट की सुबह और शाम ना देखा तो क्या देखा?

-प्रकृति का वरदान है झारखंड का नेतरहाट
बोकारो से राम निरंजन पांडेय
झारखंड प्राकृतिक सौंदर्य एवं उत्तम जलवायु के लिए एक ओर विश्व भर में सुप्रसिद्ध है वहीं दूसरी ओर लोकप्रिय पहाड़ियां और हरे भरे जंगलों के कारण पर्यटकों के लिए एक अच्छी सैर गाह भी है. प्रकृति के एक उद्यान के रूप में हरितिमा आच्छादित पहाड़ियों आैर वादियों से प्रतिष्ठित है. गत 40 वर्षों से झारखंड जो वर्ष 2000 के पूर्व बिहार का ही एक भाग था और दक्षिण बिहार के नाम से जाना जाता था, यहां हमें रहने का मौका मिला. झारखंड की शैक्षणिक राजधानी के रूप मे जाना जानेवाला शहर बोकारो इस्पात नगर में सेल के तहत संचालित बोकारो इस्पात संयंत्र के शिक्षा-विभाग में कार्य करने का सुअवसर मिला. इसी क्रम में झारखंड के विभिन्न शहरों में घूमने का मौका भी मिला.
मुझे बेहद पसंद आया नेतरहाट
यद्यपि झारखंड का हर क्षेत्र सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है, तथापि नेतरहाट मुझे बहुत पसंद आया. झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 155 किमी दूर पलामू जिलांतर्गत समुद्र तल से लगभग 3700 फीट की ऊंचाई पर हरी भरी वादियों के मध्य नेतरहाट उपस्थित है. पर्यटकों के लिए यह एक अनुपम पर्यटन स्थल तो है ही यदि इसे प्रकृति का अनमोल वरदान कहा जाये तो अतशयोक्ति नहीं होगी. ऐसी जनश्रुति है कि इस क्षेत्र में बांस की अधिकता होने के कारण यहां बांस का बाजार ला करता था, कदाचित इसी कारण इसे नेतराहाट कहा गया. स्थानीय भाषा में नेतुर का अर्थ बांस होता है तथा घर का अर्थ बाजार होता है. विरहोर, उरांव, विरजिया आदिवासी यहां के मुख्य निवासी हैं. बेतला नेशनल पार्क (टाइगर रिजर्व) यहां के करीब ही है. भालू बंदर, सुअर, भेड़िया, विभिन्न प्रजातियों के सांप तथा हिरण घुमते-घूमते यहां यत्र-तत्र दिख जाते हैं. कभी-कभी बाघ एवं जंगली हाथी पर भी नजर पड़ जाती है. घूमने के क्रम में रास्तों में बांस, पलाश, सेमल, साल, खैर आदि पेड़ भी झूमते नजर आये. ऐसा लगा कि यहां की धरती हरित परिधान धारण कर रखी है. पीली कनेर, सूरजमुखी एवं कचनार की सुगवध से युक्त त्रिविध वायु बरवस मन को मोह लेती है.
छोटी बड़ी पहाड़ियों और बलखाती नदियों से घिरा है नेतरहाट
यहां का समस्त क्षेत्र घने जंगलों, ऊंची बीची, छोटी-घड़ी पहाड़ियों तथा बलखाती नदियों से घिरा है. यहां प्रात:कालीन सूर्य की लालिमा धरती पर इस प्रकार बिखरती है मानो किसी विशिष्ट अतिथि के स्वागतार्थ लाल कालीन बिछा दिया हो. वहां जाने पर ज्ञात हुआ कि नेतरहाट में सूर्योदय और सूर्यास्त की छटा अनुपम होती है. नेतरहाट से दस-बाहर किलोमीटर दूर मैंगनोलिया प्लाइंट से सूर्योदय और सूर्यास्त के मनोहारी दृश्यों को देखने के लिए लोग जमा होते हैं. मैं भी वहां जाकर प्रकृति के इस रूप लावण्य को देख कर मंत्र मुग्ध हो गया. राज्य सरकार द्वारा संचालित यहां नेतरहाट आवासीय विद्यालय भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. कहा जाता है कि एफजे पीयर्स ने सन 1951 में इस विद्यालय की स्थापना की थी. प्रारंभ से ही उच्चस्तरीय शिक्षा के लिए यह विद्यालय विख्यात रहा है. सर्पीले आकार का सदनी जल प्रपात एक मनोहर वनभोज स्थल है. इसके अतिरिक्त नैना, मिरचईया, परेखा आदि कई और भी इस शहर के इर्द गिर्द जल प्रपात है जो नेतरहाट की शोभा बढ़ाते हैं. हमने तो पाया कि नीले आकाश धरती की हरियाली तथा भगवान भास्कर की लालिमा एक साथ मिल कर नेतरहाट की शोभा में चार चांद लगा देते हैं. कदाचित इन्हीं श्रीसुषमाओं के चलते इस प्रकृति का अनुपम वरदान कहा गया है.

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