-सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का आंकड़ा करता है तस्दीक
-पटना में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण यहां की गाड़ियां है
रविशंकर उपाध्याय, पटना
दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में चौथे नंबर पर शुमार पटना में जिस दिन सरकारी छुट्टी रहती है उस दिन यहां की हवा बेहतर हो जाती है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के पिछले पांच दिनों के आंकड़े बता रहे हैं कि यहां छुट्टी के दिन हवा सांस लेने लायक रही. पटना का एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई बेहतर हो गया जब पटना में एक मई यानी मजदूर दिवस की छुट्टी थी. एक मई को एक्यूआई का लेवल 104 था जो बेहतर कहा जाता है. 2 मई को भी स्थिति ठीक ठाक रही जब एक्यूआई 115 था. यदि इन दो दिनों को छोड़ दिया जाये तो 29 अप्रैल से 3 मई तक एक्यूआई 124 से 174 के बीच रहा. पर्यावरणविदों के मुताबिक एयर क्वालिटी इंडेक्स में यदि लेवल 0 से 50 के बीच है तब यह हवा अच्छी यानी बेहद गुणवत्ता युक्त मानी जाती है. 51-100 के बीच आप संतुष्ट होने की स्थिति में रह सकते हैं, 101-200 के लेवल में हल्का प्रदूषित इलाका है. खराब 201-300 के बीच की स्थिति है, बदतर 301-400 के बीच और 401 से 500 के बीच की स्थिति बदतरीन वाली है. यानी स्पष्ट है कि पटना इन पांच दिनों में हल्का प्रदूषित इलाका ही रहा है.
पीएम 2.5 की मात्रा अभी भी है बदतर
वायु
गुणवत्ता के मानकों के मुताबिक हवा में पार्टिकुलेटेड मैटर 2.5 की मात्रा
बदतर स्थिति में है. यानी वायु में धूल कणों की मात्रा ज्यादा है. पीएम 2.5
60 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर होनी चाहिए. लेकिन इन पांच दिनों में पटना
में 2.5 की मात्रा दो गुणा से लेकर चार गुणा अधिक रहा. एक मई को सबसे कम
124 घन मीटर और सबसे ज्यादा 3 मई को 267 घन मीटर 2.5 रिकार्ड किया गया है.
इसके साथ ही ओजोन की मात्रा लगातार बदतर स्थिति में चल रही है.
फ्लैशबैक: इस साल पहली जनवरी को ऑल टाइम हाई था पॉल्यूशन लेवल
इस साल में अब तक जनवरी सबसे ज्यादा प्रदूषित महीना था. पटना में फर्स्ट जनवरी को पीएम 2.5 का लेवल ऑल टाइम हाई था. एक जनवरी को मानक से सात गुणा अधिक 423 पर पीएम 2.5 की मात्रा पहुंच गयी. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और सेंटर फॉर इंवायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट के मुताबिक खराब गुणवत्ता के मामले में पटना की हवा राज्य में पहले पायदान पर है. इसके बाद मुजफ्फरपुर और गया की हवा अधिकतम प्रदूषित है. इसके साथ ही देश के 20 शहरों में पटना में पीएम 2.5 औसत राष्ट्रीय तय मानक से चार गुना और पीएम 10 का औसत तीन गुना अधिक है.
गा़ड़ियों के प्रदूषण सबसे बड़े कारण
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अध्ययन कहता है कि पटना की हवा में पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5 और पीएम 10) की मात्रा तय मानक से ज्यादा है. इसका कारण गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ, धुल और ईंट भट्टा है. इस प्रदूषण के कारण दमा, कैंसर और सांस की बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. ये धूलकण आसानी ने सांस के साथ शरीर के अंदर जाकर गले में खरास, फेफड़ों को नुकसान, जकड़न पैदा करते हैं. दमा, कैंसर और सांस की बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
पटना में किस दिन कितना रहा पीएम 2.5 और एक्यूआई ?तिथि®पीएम 2.5®एक्यूआई
29 अप्रैल®200®154
30 अप्रैल® 133® 174
1 मई ®125 ®104
2 मई® 142® 115
3 मई® 267® 124
किन चीजों से होता है कितना प्रदूषण?
ट्रांसपोर्ट के कारण: 20 फीसदी
लकड़ी जलावन: 20 फीसदी
ईंट भट्ठे की वजह से: 20 फीसदी
ठोस कचरा जलाने पर: 14 फीसदी
इंडस्ट्री से: 09 फीसदी
जेनरेटर व रोड डस्ट: 07 फीसदी
निर्माण कार्य व अन्य: 10 फीसदी
रविशंकर उपाध्याय, पटना
दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में चौथे नंबर पर शुमार पटना में जिस दिन सरकारी छुट्टी रहती है उस दिन यहां की हवा बेहतर हो जाती है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के पिछले पांच दिनों के आंकड़े बता रहे हैं कि यहां छुट्टी के दिन हवा सांस लेने लायक रही. पटना का एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई बेहतर हो गया जब पटना में एक मई यानी मजदूर दिवस की छुट्टी थी. एक मई को एक्यूआई का लेवल 104 था जो बेहतर कहा जाता है. 2 मई को भी स्थिति ठीक ठाक रही जब एक्यूआई 115 था. यदि इन दो दिनों को छोड़ दिया जाये तो 29 अप्रैल से 3 मई तक एक्यूआई 124 से 174 के बीच रहा. पर्यावरणविदों के मुताबिक एयर क्वालिटी इंडेक्स में यदि लेवल 0 से 50 के बीच है तब यह हवा अच्छी यानी बेहद गुणवत्ता युक्त मानी जाती है. 51-100 के बीच आप संतुष्ट होने की स्थिति में रह सकते हैं, 101-200 के लेवल में हल्का प्रदूषित इलाका है. खराब 201-300 के बीच की स्थिति है, बदतर 301-400 के बीच और 401 से 500 के बीच की स्थिति बदतरीन वाली है. यानी स्पष्ट है कि पटना इन पांच दिनों में हल्का प्रदूषित इलाका ही रहा है.
पीएम 2.5 की मात्रा अभी भी है बदतर
फ्लैशबैक: इस साल पहली जनवरी को ऑल टाइम हाई था पॉल्यूशन लेवल
इस साल में अब तक जनवरी सबसे ज्यादा प्रदूषित महीना था. पटना में फर्स्ट जनवरी को पीएम 2.5 का लेवल ऑल टाइम हाई था. एक जनवरी को मानक से सात गुणा अधिक 423 पर पीएम 2.5 की मात्रा पहुंच गयी. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और सेंटर फॉर इंवायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट के मुताबिक खराब गुणवत्ता के मामले में पटना की हवा राज्य में पहले पायदान पर है. इसके बाद मुजफ्फरपुर और गया की हवा अधिकतम प्रदूषित है. इसके साथ ही देश के 20 शहरों में पटना में पीएम 2.5 औसत राष्ट्रीय तय मानक से चार गुना और पीएम 10 का औसत तीन गुना अधिक है.

गा़ड़ियों के प्रदूषण सबसे बड़े कारण
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अध्ययन कहता है कि पटना की हवा में पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5 और पीएम 10) की मात्रा तय मानक से ज्यादा है. इसका कारण गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ, धुल और ईंट भट्टा है. इस प्रदूषण के कारण दमा, कैंसर और सांस की बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. ये धूलकण आसानी ने सांस के साथ शरीर के अंदर जाकर गले में खरास, फेफड़ों को नुकसान, जकड़न पैदा करते हैं. दमा, कैंसर और सांस की बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
पटना में किस दिन कितना रहा पीएम 2.5 और एक्यूआई ?तिथि®पीएम 2.5®एक्यूआई
29 अप्रैल®200®154
30 अप्रैल® 133® 174
1 मई ®125 ®104
2 मई® 142® 115
3 मई® 267® 124
किन चीजों से होता है कितना प्रदूषण?
ट्रांसपोर्ट के कारण: 20 फीसदी
लकड़ी जलावन: 20 फीसदी
ईंट भट्ठे की वजह से: 20 फीसदी
ठोस कचरा जलाने पर: 14 फीसदी
इंडस्ट्री से: 09 फीसदी
जेनरेटर व रोड डस्ट: 07 फीसदी
निर्माण कार्य व अन्य: 10 फीसदी
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