 |
प्रमुख शहरों में समय पूर्व मौतों के लिए खराब एयर क्वालिटी दोषी
पटना. बिहार के तीन प्रमुख शहरों में वायु
प्रदूषण असमय मौत का कारण बन रहा है. 17 सालों का अध्ययन बता रहा है कि हर
साल 4082 मौत बिहार के पटना, गया और मुजफ्फरपुर में होती है. इंडियन
इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी दिल्ली और सेंटर फॉर एन्वॉयरोंमेंट एंड एनर्जी
डेवलपमेंट द्वारा तैयार की गयी रिसर्च रिपोर्ट ‘नो व्हाट यू ब्रीथ’ (जानिए
आप कैसी हवा में सांस ले रहे हैं!) का यह निष्कर्ष सामने आया है. पटना, गया
और मुजफ्फरपुर में गंभीर वायु प्रदूषण के कारण खराब होती एयर क्वालिटी
‘समयपूर्व उच्च मृत्यु दर’ (प्रीमैच्योर हाइ मोर्टेलिटी) के प्रमुख कारणों
में से एक है. इस रिसर्च रिपोर्ट में बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के 11
प्रमुख शहरों में एक प्रमुख प्रदूषक तत्व ‘पर्टिकुलेट मैटर2.5’ के सालाना
अध्ययन किया गया है. 2000 से 2016 तक पिछले 17 सालों के सैटेलाइट डाटा के
इस्तेमाल के जरिये अध्ययन में यह आकलन उभर कर सामने आया है. सालाना प्रति
लाख की आबादी पर 290-300 लोग मरते हैं शहर के एक होटल में अध्ययन रिपोर्ट
जारी करते हुए डायरेक्टर प्रोग्राम्स अभिषेक प्रताप और सीड की सीनियर
प्रोग्राम ऑफिसर अंकिता ज्योति ने बताया कि पटना, गया और मुजफ्फरपुर में
श्वास से संबंधित ‘पल्मोनरी डिजिज एवं एक्यूट लोअर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन’,
हृदय से जुड़े रोग, स्ट्रोक और फेफड़े का कैंसर आदि के कारण सालाना प्रति लाख
की आबादी पर 290-300 लोग मरते हैं. इस कारण बिहार में एयर क्वालिटी में
सुधार के लिए तत्काल अनिवार्य कदम उठाने की जरूरत है.
|

क्या कहते हैं रिपोर्ट तैयार करने वाले वैज्ञानिक?
रिपोर्ट
के लेखक व आइआइटी दिल्ली के सेंटर फॉर एटमोसफियरिक साइंसेज में एसोसिएट
प्रोफेसर डॉ साज्ञनिक डे ने कहा कि एयर क्वालिटी मैनेजमेंट प्लान तीन
स्तरों पर करना होगा. पहली प्राथमिकता के साथ घरेलू इस्तेमाल में स्वच्छ
ईंधन की दिशा में बदलाव भी इन इलाकों में एयर क्वालिटी की दशा सुधारने में
सहायक होगी. खासकर घर-आधारित प्रदूषण उत्सर्जन को कम करने के लिए. नेशनल
एयर क्वालिटी गाइडलाइन को हासिल करने के लिए पीएम 2.5 के संक्रेंद्रण को
मुजफ्फरपुर में 54.2 प्रतिशत, पटना में 53.4 प्रतिशत और गया में 41.8
प्रतिशत तक कम करना चाहिए.
रिपोर्ट के अन्य मुख्य बिंदू:
- पटना, गया और मुजफ्फरपुर में पीएम 2.5 का स्तर
राष्ट्रीय मानक सीमा से 175 से 200 प्रतिशत ज्यादा है.
- पिछले 17 सालों में पटना, गया और मुजफ्फरपुर
में प्रदूषित धूलकण यानी पर्टिकुलेट मैटर्स से प्रदूषण औसतन क्रमश:
23 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर ,13 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर और 6
माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर बढ़ा है.
-कुल मौतों में से औसतन 30 प्रतिशत के पीछे श्वास व फेफड़ा संबंधी पल्मोनरी डिजिज जिम्मेवार है.
-कुल सालाना समयपूर्व मौतों में से 27.4 प्रतिशत मौतें बच्चों की हुईं, जिसका मुख्य कारण एक्यूट लोअर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन रहा.
-डस्ट यानी प्रदूषित धूल और साल्ट जैसे अन्य तत्वों में इन वर्षों में वृद्धि हुई है.
-तेज और बेतहाशा गति से हो रहे शहरीकरण ने वायु प्रदूषण फैलाने में प्रमुख भूमिका निभाई है.
Comments
Post a Comment