
-बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि जो तथ्य बताये जा रहे हैं उसमें सच्चाई नहीं है
रविशंकर उपाध्याय, पटना
जब से शराबबंदी लागू हुआ है, पूरे बिहार में इस कानून के तहत एक लाख सत्ताईस हजार चार सौ नवासी लोगों को गिरफ्तार किया गया लेकिन अभी एक अप्रैल तक के आंकड़ों के अनुसार आठ हजार एक सौ तेईस लोग जेल में हैं. क्या क्या हल्ला किया जा रहा है कि एक लाख से ऊपर गरीब गुरबा जेल के अंदर बंद हैं. यह तथ्य खुद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सार्वजनिक किया है. उन्होंने शराबबंदी के दो साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में यह तथ्य सामने रखे हैं. उन्होंने विपक्ष के साथ ही मीडिया के एक धड़े पर सवाल उठाते हुए कहा कि पीने वाला और धंधा करने वाला पकड़ाया है तो क्या ये अत्याचार है? पिलाने वाला पकड़ाया तो क्या ये अत्याचार है और जरा बताइये कि कितने लोग शराब की लत से मुक्त हो गए? उनके परिवार के हालत की जानकारी है क्या? उनकी बात लोगों ने सुनी नहीं क्योंकि उनकी मानसिकता अलग किस्म की है. हमारे यहां पूरे बिहार में जितने जेल हैं, उन सभी को मिलाकर क्या उसकी क्षमता एक लाख लोगों को कैद करने की है? हमने कहा कि एक दिन का आंकड़ा मंगवाइये. आज के दिन जरुर हम आपलोगों को बताएंगे.
नीतीश ने ऐसे बताए आंकड़े-
सीएम ने आगे कहा कि मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग तथा पुलिस द्वारा 1 अप्रैल 16 से लेकर 31 मार्च 2018 तक कुल छह लाख तिरासी हजार तीन सौ सत्तर छापेमारी की गयी. दोनों को मिलाकर एक लाख पांच हजार नौ सौ चौवन अभियोग दर्ज करते हुए एक लाख सत्ताईस हजार चार सौ नवासी व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया. यह 1 अप्रैल 2016 से लेकर 31 मार्च 2018 तक यानी पूरे दो साल की बात है. पूरे दो साल में ग्यारह लाख सत्तर हजार आठ सौ पैंसठ लीटर अवैध देशी शराब, सत्रह लाख तेरह हजार सात सौ अस्सी लीटर अवैध विदेशी शराब, दो लाख तिरानवे हजार आठ सौ उन्नीस लीटर अवैध चुलाई शराब तथा एक लाख उनतीस हजार नौ सौ एक लीटर अवैध शराब जब्त की गयी. पूरे दो साल में जितनी भी कार्रवाई की गयी, यह उसका नतीजा है. अभियान चलाकर बड़ी मात्रा में देशी और विदेशी शराबों को विनष्ट किया गया. शराब के अवैध धंधे में संलिप्त आठ सौ एक ऐसे लोग गिरफ्तार किए गए हैं, जो बाहर के हैं. जो बिहार के बाहर के लोग अवैध व्यापार करते हैं ऐसे लोग गिरफ्तार किए गए हैं.
कानून सबके लिए समान है, शराबबंदी से फायदा
सीएम ने यह भी कहा कि बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम के अंतर्गत राज्य के काराओं में संसीमित बंदियों के आंकड़ों का विश्लेषण हमने करवाया. इसमें अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, सवर्ण समाज, सभी प्रकार के लोग हैं, हर तबके के लोग हैं. जो भी ये काम करेगा, धंधा करेगा चाहे वो किसी भी समुदाय के हों, कानून तो सबके लिए है, समान रूप से लागू होगा. शराबबंदी का सबसे ज्यादा फायदा समाज में अगर किसी को हुआ है तो वह गरीब तबकों में हुआ हैं, एससी/एसटी, ओबीसी, ईबीसी को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है.
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