अपने बिहार में है विरासत स्थलों की भरमार, 110 से ज्यादा साइट हैं संरक्षित


-बोधगया मंदिर और नालंदा विवि के अवशेष हैं विश्व धरोहर
-आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और पुरातत्व संस्थान के सौ से ज्यादा साइट हैं बिहार में
पटना. 

बिहार में विरासतों की भरमार है. बिहार में 110 साइट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और बिहार पुरातत्व निदेशालय के तहत संरक्षित हैं, जिसमें दो को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली है. इसमें बोधगया का महाबोधि मंदिर और नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष शामिल हैं. हालांकि मात्र यही नहीं बल्कि बिहार में दर्जनों ऐसी जगह है जिसे विश्व विरासत स्थलों में शामिल किया जा सकता है. जैसे: जहानाबाद में बना विश्व की सबसे पुरानी मानव निर्मित गुफाएं इसमें मुख्य है. इसी से इंस्पायर होकर अजंता-एलोरा की गुफाएं इसमें शामिल हो गये हैं. इसके साथ ही राजगीर का साइक्लोपियन वॉल है जो राजगीर की पहाड़ियों के किनारे में बना हुआ है. इसके निर्माण की जानकारी 8 वीं सदी ई पूर्व के बारे में बताया गया है. अब समय आ गया है जब इसका गहन अन्वेषण कर इसे मालूम करने की आवश्यकता है. इसके बारे में लोग जानेंगे और दुनिया को पता चल सकेगा.
2002 में महाबोधि मंदिर बना था वर्ल्ड हेरिटेज
महाबोधि मंदिर को 27 जून 2002 को यूनेस्को ने महाबोधि मंदिर को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में सूची बद्ध किया गया था. विश्व धरोहर के रूप में सूचीबद्ध होने के बाद से बोधगया आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई. महाबोधि मंदिर का प्राचीनतम स्वरूप अशोक कालीन है. वर्तमान मंदिर के जीर्णोद्धार के क्रम में 1880 में गर्भगृह की पश्चिमी दीवार के नीचे अशोक कालीन ईटें मिली थीं. वर्तमान मंदिर चीनी यात्री ह्वेनसांग के भारत आगमन से पूर्व बन चुका था.

2016 में बना था नालंदा विवि वर्ल्ड हेरिटेज साइट 
यूनेस्को ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष को 15 जुलाई 2016 को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया गया था. विश्व धरोहर में शामिल होने वाला यह भारत का 33 वां धरोहर है. इसके विकास, सुरक्षा व संरक्षण की जिम्मेवारी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और बिहार सरकार की है. नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेषों की खोज अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी. पुरातात्विक और साहित्यिक साक्ष्यों के आधार पर माना जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई के आसपास हुई थी. गुप्त वंश के शासक कुमार गुप्त ने इसकी स्थापना की थी. हर्षवर्द्धन ने भी इसको दान दिया था. हर्षवर्द्धन के बाद पाल शासकों ने भी इसे संरक्षण दिया. न केवल स्थानीय शासक वंशों, बल्कि विदेशी शासकों ने भी इसे दान दिया था. विश्वविद्यालय का अस्तित्व 12वीं शताब्दी तक बना रहा लेकिन तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इस विश्वविद्यालय को जला डाला.
सरकार द्वारा सुरक्षित घोषित कुछ स्मारकों की सूची :-
(1) गोलघर (2) अगमकुआं, गुलजारबाद, पटना सिटी, (3) बेगू हज्जाम की मस्जिद, गुलजारबाग, पटना सिटी, (4) जैन मंदिर, कमलदह, गुलजारबाग, पटना सिटी, (5) दो रुखी प्रतिमा, कंकड़बाग, पटना, (6) छोटी पटनदेवी, पटना सिटी -पटना (7) शेरगढ़ किला सब्जीबाग, सासाराम, (8) अलावल खां का मकबरा सासाराम - सासाराम (रोहतास) (9) सूर्य मंदिर, कन्दाहा, मौजा महवारा, महर्षि, सहरसा - सहरसा(10) कटरा गढ़ - मुजफ्फरपुर(11) नेपाली मंदिर, हाजीपुर - वैशाली (12) खेरी पुरातत्च स्थल, शाहकुंड, भागलपुर (13) महमुदशाह का मकबरा, कहलगांव - भागलपुर (14) जलालगढ़ किला कसबा - पूर्णिया(15) आरा हाउस, महाराजा कॉलेज हाता - आरा, (16) चौसागढ़ नसरतपुर - बक्सर (17) दाउद खां का किला, दाउदनगर, अौरंगाबाद - औरंगाबाद (18) रामशिला पर्वत, गया, (19) प्रेतशिला पर्वत, चमड़ी, चिरैयारोड, बहादुर बिगहा, (20) विष्णुपद मंदिर, गया, (21) ब्रह्मयोनि पहाड़, गया - गया. (22) हजारीमल, धर्मशाला, बेतिया - प. चंपारण, (23) मीरा बिगहा - जहानाबाद, (24) बाबू वीर कुंवर सिंह जन्मस्थल - भोजपुर, (25) जामी मस्जिद, पत्थर की मस्जिद, हाजीपुर - वैशाली(26) मसही, कैमूर - कैमूर(27) मुंगेर किला - मुंगेर (28) चिरांद - सारण(29) ताराडीह, समस्तीपुर, बोधगया, गया - गया(30) निशान सिंह शहीद स्मारक स्थल एवं कब्रिस्तान, सासाराम - रोहतास(31) अपसढ़ गढ़ - वराह प्रतिमा - नवादा, (32) दरियापुर पार्वती पहाड़ी - नवादा, (33) जॉर्ज ऑरवेल की जन्मस्थली (मोतिहारी) - पूर्वी चंपारण

Comments