![]() |
-बगैर किसी के लिखित शिकायत किये दर्ज हुई थी एफआइआर |
-छह महीने में चार्जशीट दायर करने के होते हैं निर्देश
-तो क्या सीबीआई के सोर्स फर्जी निकले?रविशंकर उपाध्याय, पटना
...तो क्या देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई के पास तेजस्वी प्रसाद यादव के खिलाफ कोई सुबूत नहीं है? यह सवाल इस वजह से उठ रहे हैं क्योंकि पांच जुलाई 2017 को सीबीआई ने तेजस्वी पर रेलवे के होटल को लीज पर देने के बदले करोड़ों की जमीन के लेनदेन के मामले में एफआइआर दर्ज करायी थी लेकिन एजेंसी छह मार्च 2018 यानी आठ महीने बाद भी उन पर चार्जशीट दायर नहीं कर सकी है. आठ महीने पूरे होने पर तेजस्वी प्रसाद यादव ने इस पर फिर से सवाल भी उठाया है. उन्होंने मंगलवार को ट्वीटर पर पूछा है कि सीबीआई आठ महीने बाद भी चार्जशीट क्यों नहीं कर सकी है? यह सवाल वाजिब भी है कि सीबीआई क्यों इतनी देर कर रही है.
पिछले दो साल में बिहार के हरेक बड़े स्कैम की जांच टीम का हिस्सा रहे एक वरीय पुलिस अधिकारी ने हमें बताया कि हरेक जांच एजेंसी को यह डायरेक्शन है कि वह एफआईआर दर्ज करने के छह महीने के भीतर चार्जशीट दायर कर ले क्योंकि उसके बाद सुबूतों से छेड़छाड़ की संभावना ज्यादा रहती है. ऐसे में यह सवाल उठते हैं कि क्या सीबीआई के सोर्स विश्वसनीय नहीं थे?
![]() |
एफआइआर की कॉपी |
नई दिल्ली जिले के सीबीआइ, इओयू चार, इओ दो थाने में पांच जुलाई को एफआइआर दर्ज किया गया था जिसमें यह बताया गया था कि सूचना सूत्रों से मिली है और कंप्लेनेन्ट यानी सूचना देने वाले भी सूत्र ही हैं. सीबीआई को इस कथित भ्रष्टाचार की सूचना देने वाले द्वारा कोई लिखित शिकायत नहीं दर्ज करायी गयी थी, शिकायतकर्ता की मौखिक सूचना पर ही पूरी एफआइआर दर्ज की गयी थी. सीबीआइ के इओ टू के एसपी ने कंप्लेनेन्ट को एफआइआर पढ़कर सुनाई और उन्हें एक काॅपी भी दी है. लेकिन इसकी कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं हो इस कारण एफआइआर में ना तो कंप्लेनेन्ट का ना कोई हस्ताक्षर है ना ही अंगूठे का निशान.
घटना 2004-16 के बीच घटी लेकिन सूचना कर्ता ने शिकायत करने में नहीं की देर?
पूरी एफआइआर में एक और दिलचस्प तथ्य है. एफआइआर संख्या आरसी 2202017 इ 0013 कहती है कि भ्रष्टाचार का यह अपराध 2004 से 2016 के दौरान घटित हुआ है. एफआइआर जुलाई 2017 में की गयी है लेकिन इसमें सूचना कर्ता द्वारा सूचना देने में कोई देर नहीं की गयी है. सीबीआइ के एसपी ने इस सेक्शन में नो डिले मार्क किया है. पुलिस अधिकारी संजय दुबे जो सीबीआइ के डीएसपी हैं वे इस पूरे मामले के जांच अधिकारी बनाये गये थे लेकिन अब तक वे चार्जशीट करने लायक सुबूत नहीं जुटा पाए हैं.
गोलमाल है भाई, सब गोलमाल है.. 😁
ReplyDelete