दंगाई धर्म नहीं देखता...वो हिंदू की भी दुकान जलाता है मुसलमान की भी
अमिताभ ओझा, औरंगाबाद
औरंगाबाद के रमेश चौक के पास एक तरफ मोइन मियां की पंक्चर की दुकान थी तो दूसरी तरफ गोपालजी भाई की चाय नाश्ते की दुकान ,दंगे की आग में न तो मोइन मियां की दुकान बची और न ही गोपालजी भाई की दुकान....क्योंकि बलवा करने वालो के लिए न तो कोई हिन्दू था और न मुसलमान ....उन्हें तो बस दहशत कायम करना था ,आतंक फैलाना था...रामनवमी की जुलूस के बाद से शांत रहने वाला यह शहर हिंसा की चपेट में है. हालांकि मंगलवार को हालात कुछ नियंत्रण में जरूर था लेकिन सूनी सड़के , बंद दुकानें, सड़को पर फैले ईंट इस बात की गवाही जरूर दे रहे है कि अभी भी हालत सामान्य नही हैं. हालांकि पूरे शहर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है.
जिला प्रशासन की लापरवाही आ रही है सामने
औरंगाबाद में जो हुआ उसके लिए सबसे बड़ा जिम्मेवार स्थानीय प्रशासन है. जिला बड़बोलापन से नहीं चलता काम से चलता है लेकिन यह बात यहां तैनात अधिकारियों को समझ में नहीं आया. जो हुआ वो अचानक नहीं था बल्कि एक सुनियोजित साजिश थी. यह कोई एक दो लोगों के कारण नही हुआ बल्कि इसमें कई लोग शामिल हैं. हैरत की बात है कि इतनी तैयारी हो गयी और प्रशासन को भनक क्यों नहीं लगी? क्या उनका सूचना तंत्र इतना कमजोर है कि बीच शहर में साजिश हुई और उन्हें पता नही चला?
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सोशल मीडिया पर वायरल गया की तस्वीर |
कम से कम बगल के जिले गया से तो सीख लेते. गया में कई दिन पहले से रामनवमी को लेकर दोनों समुदायों के बीच वार्ता कराई गई. जिसका उदाहरण है कि रामनवमी के दिन मुसलमान भाइयों ने हिन्दू भाइयों के लिए पानी शर्बत का इंतजाम किया. जिले के पुलिस पदाधिकारी खुद इसमें शामिल रहे. एक तस्वीर जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई है इसमें गया के डीएसपी आलोक कुमार हिन्दू मुसलमान भाइयो के साथ खड़े हैं. जबकि गया एक संवेदनशील इलाका रहा है.
नोट:
अमिताभ ओझा वरिष्ठ पत्रकार हैं और वे अभी न्यूज 24 के बिहार झारखंड ब्यूरो हेड हैं. खबर उनके फेसबुक पोस्ट से साभार ली गयी है.
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