रांची से प्रिंस वर्मा
रांची में रामनवमी के पहले 14 मार्च को निकाले गये मंगला जुलूस में पताका लगाने के क्रम में करंट से अारएसएस के एक कार्यकर्ता की दुखद मौत हो गयी और चार अन्य झुलस गये. इससे एक दिन पहले हजारीबाग में मंगला जुलूस के दौरान ही आपसी झड़प की खबर भी अायी, जो हर साल रामनवमी में इस शहर के जिंदगी का हिस्सा हो चुका है. चाहे प्रदेश में किसी भी दल की सरकार हो और जिले में कोई भी अधिकारी प्रशासन संभाल रहा हो. धर्म के प्रदर्शन की मानसिकता के बीच झारखंड में होने वाली इन घटनाओं के बरक्स इसी राज्य के रामगढ़ में धार्मिक सौहार्द भी जिंदा है.
यहां के लारीकलां निवासी मंजूर खान को पिछले 1978 से लगातार रामनवमी का लाईसेंस मिलते आ रहा है. पिछले 40 सालों से लारी/सुकरीगढा में रामनवमी का लाईसेंस इनके नाम है. मंजूर खान को लारीकला पंचायत के लोग काफी पंसद करते हैं. वे जमीन से जुडे हैं, वे किसी तरह का भेदभाव नहीं करते हैं. और सभी धर्म को लेकर चलने का काम करते हैं.
मंजूर खान के पिता को भी मिलता था लाईसेंस
मंजूर खान के पिता स्व स्माईल खान को भी रामनवमी का लाईसेंस मिलता था. उनके पिता भी हिन्दु - मुस्लिम को जोड़ने का काम करते थे. 1984 में उनका निधन हो गया. जिसके पूर्व हीं 1978 में उन्होंने अपने पुत्र मंजूर खान को रामनवमी का लाईसेंस दिलवाने का काम किया. मंजूर खान ने बताया कि उनके पिताने उन्हें विरासत में यह कार्य को सौंपा है. उनके पिता कहते थे कि जिस तरह मैंने अपने जिम्मेवारी को निभाया है उसी तरह तुम भी इस कार्य को पूरी निष्ठा के साथ पूरा करो. मंजूर खान के पिता हमेशा एकजुट और भाईचारगी के साथ रहने की शिक्षा देते थे.
मंजूर खान कहते हैं
समाजसेवी मंजूर खान का मानना है कि इस धरती पर जो भी पैदा लिया है. सभी एक हीं बाप का औलाद है. सभी धर्मों का विचार एक हीं है. मंजूर खान दुर्गा पूजा, दीपावली, छठ, होली, ईद, मुर्हरम, रामनवमी, क्रिसमस, गुरूपर्व सभी पर्व हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्म के लोगों के साथ मिलजुलकर मनाते हैं. प्रत्येक वर्ष लारी/सुकरीगढा में 3 बजे रामनवमी का जुलूस निकलता है और संध्या 7 बजे तक देवी मंडप लारी में विसर्जन हो जाता है.
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