कार्यक्रम में बोलते बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व्यास जी |
जलशहर ब्यूरो, पटना.
बिहार में क्लाइमेट चेंज के कारण बच्चों में कई बीमारियां हो रही है. शहरी ही नहीं ग्रामीण वर्ग के बच्चों के उपर जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट प्रभाव दिख रहा है. चूंकि बच्चे सर्वाधिक संवेदनशील समूहों में आते है इस कारण उन पर ठण्ड में शीत लहर का प्रकोप, गर्मियों में लू के कहर का प्रकोप बना रहता है. एक अध्ययन में सामने आया कि बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों में मुख्य रूप से जल जनित बीमारियों में बढ़ोत्तरी हुई है. इसके साथ ही मलेरिया, चिकनगुनिया एवं डेगू, हवा जनित बीमारियों में अस्थमा, ब्रोंकाइटिस एवं चर्म रोग में बढोत्तरी हुई है. पटना के एक होटल में मंगलवार को आयोजित सेमिनार में देश भर के विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों ने बताया कि कम समय में अधिक वर्षा और शीत लहर साथ ही साथ जल जमाव के कारण बच्चों को स्कूल जानें में दिक्कते आती है. यही नहीं शौचालय में कमी के कारण खुले में शौच से बहुत सी बीमारियों के साथ ही साथ बहुत सी समस्याएं आ रही है. जलवायु परिवर्तन की वजह से आजीविका के साधन पर इसका असर पड़ रहा है जिससे बच्चों के पोषण पर इसका सीधा असर पड़ रहा है. जो अभिवंचित वर्ग के बच्चों में पलायन, बाल श्रम, शारीरिक एवं मानसिक शोषण बढ़ रहा है.
जलवायु परिवर्तन का हो रहा है असर: व्यासजी
बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व्यास जी ने उदघाटन करते हुए कहा कि बिहार में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का असर पड़ रहा जो कि स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहे है कुछ जिले जो पहले बाढ़ से प्रभावित थे अब वे जिले सुखाड़ से प्रभावित हो गये हैं. जहां सूखे की स्थिति थी वहां अब बाढ़ प्रभावित हो गये हैं. सदस्य पी एन राय ने कहा कि सरकारी प्लान जो भी बनते है वह नीचे से उपर जाने चाहिए जिससे कि उस प्लान का असर जमीने स्तर दिखे और वो प्रभावी हो. यह कार्यक्रम बिहार राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, गोरखपुर एनवायरन्मेन्टल एक्शन ग्रुप और यूनीसेफ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया.
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