-गो वंश की होती है सेवा, पावापुरी के गांव मंदिर की बनी है प्रतिकृति
पावापुरी(नालंदा)। अनिल उपाध्याय
बिहार में रहने वाले लोगों ने तो नालंदा जिले के पावापुरी का भ्रमण किया ही होगा. नालंदा का यह पावापुरी, जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी. यहां दस से ज्यादा मंदिर भगवान महावीर को ज्ञान मिलने से लेकर अंतिम संस्कार होने के साक्षी हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि राजस्थान में भी एक पावापुरी धाम है. यदि नहीं जानते हैं तो आपको हम उस पावापुरी के बारे में विस्तार से बताएंगे और तस्वीरें भी साझा करेंगे. वहां ना केवल गो वंश की सेवा होती है बल्कि नालंदा के पावापुरी के गांव मंदिर और जलमंदिर की प्रतिकृति भी बनी है.
पावापुरी तीर्थधाम में 90 हजार वर्गफुट जमीन पर विशाल मंदिर का निर्माण करवाया गया है जो हू ब हू बिहार के पावापुरी में स्थित जैन श्वेतांबर मंदिर की तरह है. वही परिसर में जलमंदिर की प्रतिकीर्ति भी बनी हुई है. श्वेताम्बर मंदिर बाहर से बंसीपहाडपुर के पत्थर से बना है तथा अंदर मकराना का संगमरमर लगाया गया है. मंदिर में मूलनायक की मूर्ति 69 इंच की श्रीशंखेश्वर पार्श्वनाथ की है. मंदिर परिसर में ओशियाजी, श्री पद्मावती माताजी, श्री वीरमणिभद्रजी, श्री नाका़ेडा भैरवजी का भी जिनालय है. मंदिर परिसर में केसर रूम, तोरण गेट व प्याऊ भी बनवाई गई है.
माउंट आबू की पहाड़ियों के नीचे सिरोही जिले के आबुगौड पट्टी में विशाल पावापुरी तीर्थधाम 2001 में ही बनाया गया है जो बेहद खूबसूरत और समाजसेवा को समर्पित केंद्र है. इसकी प्राण-प्रतिष्ठा 7 फ़रवरी 2001 को जैनाचार्य श्रीमद्विजय कलापूर्ण सूरीश्वरजी महाराज सागर के कर कमलों से विशाल साधु-साध्वी समुदाय की उपस्थिति में हुई थी. इस भव्य मंदिर का निर्माण मालगांव के दानवीर परिवार संघवी पूनमचंद धनाजी बाफना परिवार के ट्रस्ट केपी संघवी चेरीटेबल ट्रस्ट द्वारा करवाया गया है. सिरोही जिला मुख्यालय से 22 किमी दूर सिरोही-मंडार-डीसा राजमार्ग पर करीब 1000 बीघे में पावापुरी तीर्थधाम बसा हुआ है. मालगांव का मूल निवासी व सिरोही में शिक्षा ग्रहण करने वाला केपी संघवी परिवार पिछले 30-35 वर्षों से हीरे के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. उन्होंने नालंदा के पावापुरी की याद को हमेशा कायम रखने के लिए पावापुरी तीर्थधाम बनाये हुए हैं.
ट्रस्ट ने यहां एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 500 बीघा भूमि खरीदकर पहले भव्य गौशाला का निर्माण करवाया जिसमें अभी लगभग 3 हजार पशुओं का लालन-पालन आधुनिकतम तरीके से किया जा रहा है. जीवदया प्रेमी संघवी परिवार देश में किसी भी क्षेत्र में खुलने वाली गौशाला को अपने ट्रस्ट की ओर से 5 लाख रुपए प्रारंभिक सहायता के रूप में देता है. इस गौशाला का नियमित संचालन हो तथा अधिकाधिक व्यक्ति किसी न किसी प्रकार जीवदया प्रेमी बनें, इस हेतु संघवी परिवार ने इस क्षेत्र में पावापुरी धाम बनाने की योजना बनाई तथा यहाँ पर मूलनायक के रूप में श्रीशंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान का ऐतिहासिक व कलायुक्त भव्य मंदिर बनाने का निर्णय किया.
मंदिरों का जिला है राजस्थान का सिरोही
राजस्थान का सिरोही जिला 'मंदिरों का जिला' है. इस जिले में विश्वविख्यात दिलवाड़ा जैन मंदिर, श्रीजीरावला पार्श्वनाथ मंदिर, श्रीमुंगथला तीर्थ, श्रीबामणवाडजी तीर्थ, श्रीकोलरगढ़ तीर्थ, श्रीवरमाण, श्रीदियाणाजी, श्रीमानपुर, श्रीमीरपुर, श्रीसिवेरा, श्रीउंदरा, श्रीदंताणी, श्री संघवी भैरू तारक धाम (तलेटी) व सिरोही शहर जहां 14 जैन मंदिर श्रृंखलाबद्ध कतार में हैं. जैन मंदिरों के अलावा शिव मंदिर भी चारों दिशाओं में हैं. श्रीसारणेश्वरजी महादेव, श्रीमारकुंडेश्वरजी, श्रीआम्बेश्वरजी महादेव, श्रीभूतेश्वरजी महादेव व पास में ही सुंधामाताजी का भव्य मंदिर है.
पावापुरी धाम को इस तरह जानिए:
पावापुरी धाम में दो ब्लॉक हैं. एक ब्लॉक सुमति जीवदया धाम (गौशाला) का है तथा दूसरा पावापुरी तीर्थ धाम का है. पावापुरी तीर्थधाम में मंदिर, उपासना स्थल, भोजनशाला, धर्मशाला, बगीचे व तालाब बने हुए हैं. यहां बीमार पशुओं व बछड़ों के लिए भी अलग से शेड बने हैं. पशुओं के लिए डॉक्टर, कंपाउंडर व सहायकों की स्थायी व्यवस्था है. साथ ही उनके इलाज के लिए लिए दवाइयों की व्यवस्था रहती है. पशुओं को खिलाने के लिए पशु आहार, हरा चारा, शक्तिवर्धक लड्डू व समय-समय पर दलिया व लपसी खिलाने की व्यवस्था रहती है. घास के लिए बड़ा घास गोदाम भी है व चराई के लिए खुला विशाल जंगल भी रखा गया है. पावापुरी धाम में 10 हजार नीम के पेड़ लगाए गए हैं.
संघ द्वारा भोजनालय हेतु 11 हजार वर्गफुट का एक विशाल प्लेटफॉर्म बनाया गया है. प्रशासनिक ब्लॉक में सभाकक्ष, कार्यालय इत्यादि बनाया गया है. आधुनिक सुविधाओं से युक्त भोजनशाला का निर्माण 13 हजार वर्गफुट जमीन पर करवाया गया है. 31 हजार वर्गफुट की दो मंजिला धर्मशाला है जिसमें 51 कमरे व तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं. साधु भगवंतों व साध्वी महाराज के लिए आधुनिक तरीके से हवा, रोशनी का स्वतंत्र आगमन हो, वैसे भवन बनाए गए हैं. स्टाफ क्वॉर्टर्स, श्रमिक आवास व प्रशासनिक आवास भी अलग से बनाए गए हैं.
पावापुरी धाम का सबसे प्रमुख आकर्षण विशाल मंदिर व तोरण द्वार तो है ही किंतु धाम की जो चहारदीवारी व मुख्य द्वार है, उसका आकर्षण इतना है कि उस मार्ग से गुजरने वाला हर वाहन एक बार तो अवश्य रुकता ही है. इस पावापुरी धाम के शिल्पकार अहमदाबाद के श्री हरीभाई व सोमपुरा के श्री मनहरभाई हैं. संपूर्ण निर्माण कार्य सूरत के वास्तुविद् श्री किशोरभाई हाथीवाला व उनके सहयोगी देख रहे हैं.
ReplyDeleteNice information.. 👌