रोटोमैक फ्रॉड यानी लोन लेते-लेते लव हो जाए!


800 करोड़ से शुरू हुआ लोन 3695 करोड़ हो गया, ना मूल चुकाया ना सूद 
रोटोमैक पेन इस्तेमाल करने वाले जानते हैं कि कैसे लिखते लिखते लव हो जाने का संदेश हर उपयोग कर्ता को कंपनी द्वारा दिया गया था. लेकिन इस कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी ने इतना लोन लिया कि लोन लेते लेते उन्हें लोन से ही लव हो गया. पीटीआई और एएनआई की खबरों के मुताबिक कोठारी पर बैंक ऑफ बड़ौदा समेत सात बैंकों से 2919 करोड़ का कर्ज लेकर गटक जाने का आरोप है. इस रकम पर ब्याज लगाकर कर जोड़ा जाए तो कोठारी पर सात बैंकों की कुल देनदारी 3695 करोड़ रुपये बैठती है.
सीबीआई ने दर्ज किया केस, जांच एजेंसी की कार्रवाई
बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर सीबीआई ने रोटोमाक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर विक्रम कोठारी, उनकी पत्नी साधना कोठारी और राहुल कोठारी समेत अज्ञात बैंक अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सात बैंकों से लोन के नाम पर 2919 करोड़ का चूना लगाने की साजिश की गई है. ये सिर्फ मूल धन है, इसमें ब्याज शामिल नहीं है. ये पूरा मामला 800 करोड़ के लोन से शुरू हुआ था, जो अब 3695 करोड़ तक पहुंच गया है. केस दर्ज करने के बाद सीबीआई की टीम ने सोमवार को कानपुर में छापेमारी की. ये केस 800 करोड़ रुपये का ऋण नहीं चुकाने के मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा की तरफ से दी गई शिकायत पर दर्ज किया गया है. सीबीआई प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने कहा कि इस मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि छापेमारी के दौरान कोठारी, उनकी पत्नी और बेटे से पूछताछ की गई है. सीबीआई ने दिल्ली में मौजूद कोठारी के ठिकानों को भी सील कर दिया है.
जानिए किस बैंक से लिया कितना लोन?
कोठारी ने इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया समेत 7 बैंकों से लोन लिया था. सीबीआई के मुताबिक, ये घोटाला 2008 से चल रहा था. ये है लोन का विवरण:
बैंक ऑफ इंडिया- 754.77 करोड़
बैंक ऑफ बड़ौदा- 456.63 करोड़
इंडियन ओरवसीज बैंक- 771.77 करोड़
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया- 458.95 करोड़
इलाहाबाद बैंक- 330.68 करोड़
बैंक ऑफ महाराष्ट्र- 49.82 करोड़
ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स- 97.47 करोड़
इन सात बैंकों से लिया गया ये कर्ज कुल 2919.39 करोड़ रुपये है. इस लोन पर ब्याज मिलाकर ये पूरी रकम 3696 करोड़ रुपये है. कोठारी ने अब तक न ये मूलधन चुकाया है और न ही इस पर लगा ब्याज दिया है. लोन के एक साल बाद जब कोठारी ने जब लोन का मूल पैसा नहीं चुकाया और न ही कर्ज की रकम के ब्याज का ही भुगतान किया तो बैंक ने कार्रवाई शुरू कर दी. 
                                                                                                                                इनपुट: एजेंसी 

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