Ravishankar Upadhyay, Patna
बिहार
की राजधानी पटना के खुदरा मार्केट में टमाटर बीस रुपये में ढ़ाई किलो मिल
रहा है. यानी आठ रुपये किलो. वहीं मीठापुर और अंटा घाट की मंडी में
पांच से छह रुपये का थोक भाव है. राजधानी से महज सौ किमी
दूर समस्तीपुर में
टमाटर दो रुपये प्रति किलो का भाव है और मूली एक रुपये प्रति किलो. पिछले
सात दिनों से यही हाल है, किसान खून के आंसू रो रहे हैं, उनकी
लागत नहीं निकल रही है, चिंता है कि कैसे वे साहूकार का कर्ज उतारेंगे?
लेकिन किसे फर्क पड़ता है? बिहार का किसान तो लाख दर्द हो कभी फांसी भी
नहीं लगाता है ना सो देश के कृषि मंत्री जो इसी प्रदेश से हैं वे भी सोए
हुए हैं. उन्हें भी क्यों फर्क पड़े? इस देश को फर्क पड़ता है साउथ की
फिल्म में डेब्यू कर रही प्रिया प्रकाश के आंख मारने के तरीके
से. उसने कैसे यह कला सीखी? कैसे उसे फिल्म मिली और कैसे वह इस वेलेंटाइन
पर 24 घंटे के अंदर सेलेब्रिटी बन गयी? गूगल पर उसने कैसे सनी लियोनी से
लेकर कैटरीना और दीपिका को पछाड़ दिया और किस प्रकार उसने अपने
इंस्टाग्राम और ट्विटर पर दो मीलियन फैन बना लिए? यह इस देश के लिए सबसे
बड़ी खबर है. जब सब चैनल, अखबार और वेब पोर्टल आंख मारने के तरीके पर
खबर बना कर थक चुके थे तो जो रेडियो चैनल कभी सभी किसानों के लिए खबर का
सबसे बड़ा स्त्रोत होता था उसके वेब वर्जन ने उस लड़के पर खबर बना
दी. क्योंकि किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता. यह सो कॉल्ड तेजी से विकसित देश
की कतार में आगे बढ़ते इस देश की असल तस्वीर है जिसमें असल मुद्दे कैसे
उलझ कर रह जाते हैं, यह देखा जा सकता है. अगले कुछ दिन और इसी तरह प्रिया
प्रकाश के और वीडियो और खबर चलते रहेंगे लेकिन किसानों की खबर कभी इस
देश और उस बाजार को नहीं दिखाई जाएगी जो 40 रुपये किलो के भाव होने
पर किसानों पर आगबबूला हो जाता है क्योंकि उसे बिचौलियों से भरा यह तंत्र
नहीं दिखाई देता.

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