बिहार: हिन्दू के घर बरसी खुदा की रहमत, बकरे के शरीर पर उभरा अल्लाह का नाम.

बकरे के शरीर पर उभरा अल्लाह का नाम.
.खरीददारों की लगी है लम्बी कतार, सात लाख तक लगी बोली, तीन साल का बकरा बना चर्चा का विषय.
शेखोपुरसराय(शेखपुरा, बिहार).

ईश्वर हो या अल्लाह, जब अपनी रहमत बरसाते है तो अपने भक्तों का धर्म और उसकी जाति नहीं देखते. बिहार के शेखपुरा जिले के शेखोपुरसराय प्रखंड में खुदा की रहमत एक हिन्दू के घर पे कुछ इसी कदर बरसी है. प्रखंड के चमरबीघा गांव में ज्वाला यादव के घर पर एक ऐसा बकरा है, जिसके शरीर के बायीं तरफ अल्लाह बिस्मिल्लाह लिखा हुआ है. ज्वाला प्रसाद यादव के घर 3 साल का एक बकरे के शरीर के एक तरफ उर्दू में अल्लाह लिखा हुआ है. यह बकरा क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. श्री यादव कोलकाता मे रह कर मजदूरी का काम करते थे. वहीं कामकाज के दौरान उर्दू भाषा का ज्ञान भी हासिल किया. लंबे समय बाद पुनः गांव वापस आकर खेती-बारी करने लगे. बटाईदारी कर अपनी तीन बेटियों व दो बेटों का भरण पोषण करने में जुट गये. इसी दरम्यान ज्वाला यादव के गोतिया घर में एक बकरी दो मेमने को जन्म दिया. जो दो महीने बीतने के बाद उस बकरी के मेमने के पेट पर अल्लाह बिसमिल्लाह लिखा हुआ पाया. ज्वाला प्रसाद यादव बकरे के इस खासियत को भाप कर  पचीस सौ में उस बकरी के मेमने को खरीद लिया. जब यह बकरा तीन साल का हो गया तब आज गौरवान्वित महसूस कर रहा है. आज आलम यह है कि इस बकरे का वजन लगभग 35 किलोग्राम का है.
ऐसे लिखा जाता है अल्लाह
देशभर से पहुंच रहे मुसलमान, लाखों में लग रही बोलियां
इस्लाम धर्म के लिए खास मायने रखने वाला यह नायाब बकरा खास मायने रखता है. इसी कारण इसे खरीदने के लिए इस्लाम धर्मावलंबियों की लंबी लाइन लगी है और लाखों में बोलियां लग रही है. इसकी खरीददारी करने के लिए कोलकाता, बिहारशरीफ, बरबीघा से लोग आए हैं और अबतक सबसे ज्यादा 7 लाख की कीमत लग चुकी है. इधर इस रुझान से गदगद ज्वाला प्रसाद अब पच्चीस लाख रुपए मांग रहे हैं.
बकरे की आदत भी अलहदा, होती है खास देख भाल.
इस्लाम धर्म के लिए मायने रखने वाला यह तीन साल का बकरा श्री यादव के खास देखभाल में है. उन्हें उम्मीद है कि उसे बकरे से उनकी गरीबी जल्द ही दूर हो जाएगी. अपने बच्चों की तरह बकरे के बेहतर देखभाल में अपना आधा समय उसी के पीछे व्यतीत कर रहे है. धर्म के आस्था से जुड़े होम के करण बकरे को वे अपने बेड पर सुलाते हैं, उसका भरण पोषण के लिए दूर्वा घास और चना खिलाते हैं. इधर बकरा भी वह साफ सुथरे स्थान पर ही बैठना पसंद करता है.

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