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प्रतीकात्मक तस्वीर |
-ना वृद्धावस्था पेंशन का दायरा बढ़ाया ना ही पर सरकार ने नहीं किया विचार
पटना. बजट 2018 में वेतनभोगियों, युवाओं, महिलाओं, कामगारों पर सब जानकारी देते हुए कह रहे हैं कि उन्हें तो कुछ भी नहीं मिला लेकिन सरकार की ओर टकटकी लगाकर देख रहे बुजुर्गों को भी कुछ नहीं मिला है. केंद्र सरकार ने उन्हें भी लॉलीपॉप थमाने से गुरेज नहीं किया. वृद्धावस्था पेंशन का दायरा बढ़ नहीं रहा है केवल गरीब बुजुर्गों को ही यह लॉलीपॉप दिया जाता है जो भी समय से नहीं मिलता. इस बार बजट में करों पर छूट का दायरा बढ़ाया गया है और हेल्थ बीमा के नाम पर महज 20 हजार के प्रीमियम की छूट दी गयी है.
बजट 2018 में बुजुर्गों के हिस्से यह आया
बजट में सीनियर सिटीजन को डिपॉजिट पर मिलने वाले केवल इंट्रेस्ट पर छूट का दायरा 10,000 से बढ़ाकर 50,000 सालाना कर दिया गया है. 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर डिडक्शन की लिमिट भी 30 हजार से बढ़ाकर 50 हजार कर दिया गया है. गंभीर बीमारियों के केस में डिडक्शन लिमिट 1 लाख कर दी गई है. प्रधानमंत्री वय वंदना योजना मार्च 2020 तक बढ़ा दिया गया है. इस योजना में लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया सीनियर सिटीजन को 8 फीसदी निश्चित रिटर्न देता है. स्कीम में सीनियर सिटीजन के इन्वेस्टमेंट की लिमिट 7.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 15 लाख कर दी गई है. यानी केवल नौकरी कर चुके बुजुर्ग पेंशनरों पर ध्यान और वह भी केवल नाममात्र का.
बिहार में एक करोड़ बुजुर्ग, 92 लाख को कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं
बुजुर्गों के लिए काम करने वाली संस्था हेल्पेज इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 60 पार की उम्र के बुजुर्गों की संख्या एक करोड़ से ज्यादा होगी क्योंकि 2011 के जनगणना के अनुसार 77.70 लाख संख्या थी. केंद्र और राज्य सरकार के तकरीबन 8 लाख पेंशनधारी बुजुर्गों के बारे में माना जा सकता है कि उन्हें सीमित अर्थों में ही सही जीवन-यापन के लिए एक आर्थिक सहारा (पेंशन) हासिल है. शेष 92 लाख बुजुर्गों की जिंदगी बहुत अलग और कारुणिक है. उनके लिए सरकार कुछ नहीं करती है.
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