केंद्र सरकार के एक फैसले से इएसआइसी के करोड़ों कर्मचारी इलाज से हुए वंचित



-नये कर्मचारियों का गंभीर बीमारियों में रुक गया इलाज, दो साल का अंशदान होने पर ही मिल सकेगा बीमा योजना का लाभ, पहले 78 दिनों तक अंशदान मिलने पर ही लाभ 
- कर्मचारी राज्य बीमा निगम के एक फैसले से लाखों कर्मचारियों को हो रही परेशानी 
रविशंकर उपाध्याय, पटना.
दानापुर कैंट के सुगना गांव की रहने वाली रूबी कुमारी पारस अस्पताल में नयी कर्मचारी हैं. उन्होंने परिवार का आर्थिक बोझ कम करने के लिए 14 जुलाई 2016 से वहां काम करने का फैसला किया. कर्मचारी राज्य बीमा निगम से जुड़ने के बाद उन्हें कुछ दिन पहले उन्हें पता चला कि वह ओवेरियन कैंसर से जूझ रही हैं. उन्होंने फुलवारी शरीफ के इएसआइसी में इलाज कराया तो बताया गया कि उन्हें रेफर करना पड़ेगा. किसी बड़े और अच्छे अस्पताल में ही इसका इलाज किया जा सकता है. लेकिन कोई भी टाइ अप अस्पताल उनकी भर्ती लेने को तैयार नहीं है, क्योंकि गंभीर बीमारियों में इएसआइसी में अंशदान की सीमा को बढ़ा कर दो साल कर दिया गया है. यह पहले केवल 78 दिन का ही था. अब वह कभी डायरेक्टर तो कभी डाॅक्टर से गुजारिश कर रही है. सात नवंबर 2016 से प्रभावित नये नियम ने रूबी जैसे सैकड़ों कर्मचारी रोज परेशान हो रहे हैं. इस नये नियम से बिहार कर्मचारी बीमा निगम से जुड़े लगभग 12 करोड़ लोग प्रभावित हो गये हैं और आने वाले दिनों में कोई भी गंभीर बीमारियों में अपना इलाज निगम से लाभ लेकर नहीं करा पा रहे हैं.
पूरी तरह अव्यावहारिक है नया नियम, कर्मचारियों को किया जा रहा परेशान
इएसआइसी के ही उच्च पदस्थ सूत्र कहते हैं कि केंद्रीय शाखा द्वारा लागू किया गया यह नियम पूरी तरह अव्यावहारिक है. इस पर बगैर किसी अध्ययन के यह फैसला ले लिया गया कि गंभीर बीमारियों में निगम को नुकसान हो रहा है. जबकि स्थिति यह है कि निगम लगातार लाभ में है और दिन प्रतिदिन लाभ की यह सीमा बढ़ ही रही है. इसके बावजूद क्यों यह फैसला लिया गया, यह समझ से परे है. लगातार आ रही शिकायतों के मद्देनजर बिहार शाखा ने केंद्रीय शाखा यह अपील की है कि इस नियम को पूर्ववत किया जाये ताकि आम लोगों की परेशानी खत्म हो.
इन बीमारियों को लेकर नया नियम बना परेशानी का सबब:
- लीवर की बीमारियां
- हृदय रोग
- किडनी से जुड़ी व्याधि
- ब्रेन की समस्याएं
- कैंसर आदि
कहते हैं निदेशक: हमने डीजी से मांग की है कि नियम को बदला जाये
कर्मचारी राज्य बीमा निगम के बिहार निदेशक अरविंद कुमार ने बताया कि हमने केंद्रीय शाखा के डायरेक्टर जनरल से मांग की है कि इस नियम को तुरंत बदला जाये क्योंकि हमारे यहां सीमेंट, केमिकल, लाइम, स्टोन इंडस्ट्री में कर्मचारियों को कैंसर होने की संभावना होती है. ऐसे में क्या वह दो साल तक इंतजार करेगा?
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