-पिछले 15 दिनों के आंकड़े कह रहे हवा का लेवल खतरनाक
पटना.
नए साल में पटनावासियों को एक भी दिन साफ हवा सांस लेने के लिए नहीं मिली है. राजधानी की आबोहवा में कुहासे के साथ स्मॉग बहुत ज्यादा घुला हुआ है. यहां की हवाओं में धूल और धुएं से निर्मित धुंध इतना ज्यादा है कि यह अासमान में उड़ नहीं रहा है. जिसके चलते सामान्य से अधिक समय तक धुंध बनी रहती है. जिसको छटने में वक्त लगता है. इसी के कारण यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स की हवा में सांस लेना नुकसानदायक है. साल का यह पहला महीना है जिसकी शुरूआत ही कुहासे और ठंड से हुई है. इसके शुरूआती 15 दिन के आंकड़े बता रहे हैं कि एयर क्वालिटी का लेवल बहुत खराब की श्रेणी में रहे हैं. 15 जनवरी को एयर क्वालिटी का लेवल 300 से ज्यादा हो गया. डॉक्टरों के मुताबिक स्मॉग का बच्चों और सांस की बीमारी के मरीजों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. स्मॉग में छिपे धूल और धुएं के कण अस्थमा के अटैक की आशंका को और ज्यादा बढ़ा देते हैं. इसके अलावा कई लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ भी हाेती है. ब्रोंकाइटिस यानी फेफड़े से संबंधित बीमारी के मामले बढ़ जाते हैं. यही नहीं स्मॉग के चलते फेफड़ों की क्षमता भी कम होती है जिससे खिलाड़ियों को तकलीफ होती है. डॉक्टरों के मुताबिक दिल के मरीजों को भी स्मॉग से खतरा है.
एयर क्वालिटी इंडेक्स के 100 तक का लेवल ही बेहतर
एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार यदि लेवल 0 से 50 के बीच है तब यह अच्छा है. 51-100 के बीच आप संतुष्ट होने की स्थिति में रह सकते हैं, 101-200 के लेवल में हल्का प्रदूषित इलाका है. खराब 201-300 के बीच की स्थिति है, बदतर 301-400 के बीच और 401 से 500 के बीच की स्थिति बदतरीन वाली है. हवा की खराब गुणवत्ता का असर पटना में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. इसके कारण दमा, कैंसर और सांस की बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
पर्यावरण कर्मी इश्तेयाक अहमद कहते हैं कि अभी कुहासे के कारण धूल और धुआं आसमान में नहीं जा रहे हैं. इस कारण प्रदूषण का लेवल लगातार बहुत खराब की श्रेणी में पहुंचा हुआ है. हम सभी को अभी भी चेतना होगा और आमलोगों को स्वच्छ हवा के अधिकार के लिए सरकार पर दबाव बनाना होगा यही नहीं हमें खुद भी इसके लिए पहल करनी होगी. सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना होगा और सरकारी मशीनरी को इसके लिए बाध्य होना होगा कि प्रदूषण करने वाली गाड़ियां किसी भी सूरत में शहर में नहीं चले.
कब क्या रहा पीएम 2.5 का लेवल?
एक जनवरी: 423
दो जनवरी: 228
तीन जनवरी: 250
चार जनवरी: 283
पांच जनवरी: 237
छह जनवरी: 239
सात जनवरी: 267
नौ जनवरी: 255
दस जनवरी: 206
ग्यारह जनवरी: 205
बारह जनवरी: 181
तेरह जनवरी: 323
चौदह जनवरी: 182
पंद्रह जनवरी: 231
नोट: ये आंकड़े केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हैं.
पटना.
नए साल में पटनावासियों को एक भी दिन साफ हवा सांस लेने के लिए नहीं मिली है. राजधानी की आबोहवा में कुहासे के साथ स्मॉग बहुत ज्यादा घुला हुआ है. यहां की हवाओं में धूल और धुएं से निर्मित धुंध इतना ज्यादा है कि यह अासमान में उड़ नहीं रहा है. जिसके चलते सामान्य से अधिक समय तक धुंध बनी रहती है. जिसको छटने में वक्त लगता है. इसी के कारण यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स की हवा में सांस लेना नुकसानदायक है. साल का यह पहला महीना है जिसकी शुरूआत ही कुहासे और ठंड से हुई है. इसके शुरूआती 15 दिन के आंकड़े बता रहे हैं कि एयर क्वालिटी का लेवल बहुत खराब की श्रेणी में रहे हैं. 15 जनवरी को एयर क्वालिटी का लेवल 300 से ज्यादा हो गया. डॉक्टरों के मुताबिक स्मॉग का बच्चों और सांस की बीमारी के मरीजों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. स्मॉग में छिपे धूल और धुएं के कण अस्थमा के अटैक की आशंका को और ज्यादा बढ़ा देते हैं. इसके अलावा कई लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ भी हाेती है. ब्रोंकाइटिस यानी फेफड़े से संबंधित बीमारी के मामले बढ़ जाते हैं. यही नहीं स्मॉग के चलते फेफड़ों की क्षमता भी कम होती है जिससे खिलाड़ियों को तकलीफ होती है. डॉक्टरों के मुताबिक दिल के मरीजों को भी स्मॉग से खतरा है.
एयर क्वालिटी इंडेक्स के 100 तक का लेवल ही बेहतर
एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार यदि लेवल 0 से 50 के बीच है तब यह अच्छा है. 51-100 के बीच आप संतुष्ट होने की स्थिति में रह सकते हैं, 101-200 के लेवल में हल्का प्रदूषित इलाका है. खराब 201-300 के बीच की स्थिति है, बदतर 301-400 के बीच और 401 से 500 के बीच की स्थिति बदतरीन वाली है. हवा की खराब गुणवत्ता का असर पटना में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. इसके कारण दमा, कैंसर और सांस की बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
पर्यावरण कर्मी इश्तेयाक अहमद कहते हैं कि अभी कुहासे के कारण धूल और धुआं आसमान में नहीं जा रहे हैं. इस कारण प्रदूषण का लेवल लगातार बहुत खराब की श्रेणी में पहुंचा हुआ है. हम सभी को अभी भी चेतना होगा और आमलोगों को स्वच्छ हवा के अधिकार के लिए सरकार पर दबाव बनाना होगा यही नहीं हमें खुद भी इसके लिए पहल करनी होगी. सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना होगा और सरकारी मशीनरी को इसके लिए बाध्य होना होगा कि प्रदूषण करने वाली गाड़ियां किसी भी सूरत में शहर में नहीं चले.
कब क्या रहा पीएम 2.5 का लेवल?
एक जनवरी: 423
दो जनवरी: 228
तीन जनवरी: 250
चार जनवरी: 283
पांच जनवरी: 237
छह जनवरी: 239
सात जनवरी: 267
नौ जनवरी: 255
दस जनवरी: 206
ग्यारह जनवरी: 205
बारह जनवरी: 181
तेरह जनवरी: 323
चौदह जनवरी: 182
पंद्रह जनवरी: 231
नोट: ये आंकड़े केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हैं.
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