पटना में पांच साल में गाड़ियां ही नहीं पॉल्यूशन भी हो गया दोगुना

 
प्रतीकात्मक तस्वीर

- डॉक्टर्स व प्रदूषण विभाग के अनुसार गाड़ियों का कम प्रयोग करें लोग
- तेजी के साथ बढ़ रहे एअर पॉल्यूशन से सांस के रोगियों की बढ़ रही तादाद
पटना
. जाम के झाम में फंसे शहर को न सिर्फ ट्रैफिक की दुश्वारियां सहनी पड़ रही है बल्कि, इससे वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है. इस कारण रिस्पायरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर यानी आरएसपीएम न्यूनतम के दोगुने लेवल पर पहुंच चुका है, जिससे लोगों को सांस से जुड़ी तमाम खतरनाक बीमारियां हो रही हैं और होने की संभावना है. यदि समय रहते इस पर कंट्रोल नहीं पाया गया तो स्थिति विकराल हो सकती है. शहर की कमोबेश सभी सड़कों पर सुबह से लेकर देर शाम तक ट्रैफिक की रफ्तार धीमी पड़ी रहती है. लिहाजा, वाहन न सिर्फ ज्यादा समय तक स्टार्ट रहते हैं बल्कि, कम समय की दूरी को अधिक समय में पूरा भी करते है. अनुमान के मुताबिक तकरीबन 5 लाख से ज्यादा वाहन शहर में डेली दौड़ते हैं. हर एक चौराहे पर व रास्ते में रेड सिग्नल व रोड जाम के चलते ये वाहन खड़े हो जाते हैं. ऐसे में, लोग अपने वाहन को स्टार्ट ही रखते है. लिहाजा, फ्यूल बर्न करता है और धुआं भी निकलता रहता है. यह धुआं हवा में जहर घोल रहा है.
पांच वर्षो में दोगुना हुआ प्रदूषण का लेवल
वाहनों की बढ़ती संख्या, सड़क जाम की देन है कि आरएसपीएम का लेवल पिछले महज पांच वर्षो में दोगुना बढ़ चुका है. एनवॉयरमेंट एक्सपर्ट इस आंकड़े को हेल्थ के लिए बेहद घातक बता रहे हैं. पटना में वायु प्रदूषण एक भयावह समस्या बन गया है और दिसंबर महीने में ही वायु गुणवत्ता की दशा को बेहद गंभीर और पूरे देश में सबसे बदतर और खतरनाक पाया गया है. इस महीने की पहली तारीख को एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) बेहद ऊंचे स्तर 421 तक पहुंच गया, वहीं दिसंबर में यह 392, फिर 17 तारीख को 369 और 18 दिसंबर को 407 रहा था. वायु प्रदूषण बढ़ने की वजह गाडि़यों से निकलने वाले धुंए से और सड़कों की उड़ती हुई धूल होती है.
आजमाएं यह टिप्स:
- ट्रैफिक में कुछ देर के लिए गाड़ी बंद कर दें.
- चौराहों पर ग्रीन सिग्नल होने तक गाड़ी बंद रखें.
- गाड़ी स्टार्ट करते ही तुरंत गियर लगाने की बजाय वेट करें.
- नियमित समयांतराल पर गाड़ी की सर्विसिंग कराएं.
- ज्यादा जरूरत पड़ने पर ही व्हीकल का प्रयोग करें.
- निकट की दूरियों को पैदल अथवा साइकिल से तय करें.

 धुएं से बचने के लिए ये करें-
- हैंकी या मॉस्क का यूज करना चाहिए.
- अपने आस पास साफ सफाई रखें.
- हेलमेट का प्रयोग जरूर करें.
- फुल कवर्ड होकर बाहर निकलें.
धुएं का स्टैंडर्ड मानक (कार्बन मोनो आक्साइड) मिनिमम होना चाहिए.
- सीएनजी वाहन - 0.1 से 0.20 तक
- पेट्रोल वाहन टू व्हीलर - 3 परसेंट.
- फोर व्हीलर - 4.5 परसेंट.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
''साल दर साल एअर पॉल्यूशन में इजाफा हो रहा है जो राजधानी के लिए एक गंभीर समस्या है. एंवॉयरमेंट के प्रति लोगों को अवेयर होने की जरूरत है. पर्षद द्वारा इस संबंध में लगातार जागरुकता अभियान चलाया जाता है.''-आलोक कुमार, सदस्य सचिव, प्रदूषण नियंत्रण पर्षद 
''गाड़ियों से निकलने वाले कार्बन मोनो ऑक्साइड लोगों को बीमार बना रहा है. सब कुछ जानकर भी लोग अनजान बने हुए हैं. स्वास्थ्य बरकरार रखने के लिए व्हीकल्स का प्रयोग कम करना अनिवार्य है.''
- डाॅ मनोज कुमार सिन्हा, फिजिशियन

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