क्या प्रशासनिक अफसरों के मकड़जाल से निकल पाएगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड?

पर्यावरणविद् डॉ अशोक कुमार घोष
पहली बार प्रशासनिक अफसर नहीं बल्कि पर्यावरणविद बने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन 
पटना. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद पहली बार प्रशासनिक सेवा और वन सेवा के प्रशासकों से मुक्त होकर पर्यावरणविद् के पास पहुंच गया है. राज्य के प्रसिद्ध पर्यावरण विद् डॉ अशोक कुमार घोष को बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. नौ जनवरी को जारी अधिसूचना के बाद उन्होंने दस जनवरी को वर्तमान अध्यक्ष आइएएस विवेक कुमार सिंह से पदभार ग्रहण कर लिया. लेकिन बड़ा सवाल वही कि क्या प्रशासनिक अफसरों के मकड़जाल से निकल पाएगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड? हालांकि नये चेयरमैन ने पदाधिकारियों के साथ मीटिंग की और बेहतर कार्ययोजना के साथ काम करने की ताकीद की. इसके पहले वन विभाग द्वारा प्रदूषण नियंत्रण पर्षद मंडल का पुनर्गठन कर दिया गया. जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1974 और वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1981 के तहत पर्यावरण एवं वन विभाग ने बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद का पुनर्गठन किया है. पर्षद मंडल में सदस्य के रूप में पर्यावरण एवं वन विभाग के प्रधान सचिव/सचिव या उनके प्रतिनिधि, परिवहन विभाग के प्रधान सचिव/सचिव या उनके प्रतिनिधि, वित्त विभाग या उनके प्रतिनिधि, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, निदेशक, खान एवं भूतत्व विभाग शामिल होंगे. वहीं भारतीय वन सेवा के अधिकारी आलोक कुमार पर्षद के सदस्य सचिव के पद पर 19 अप्रैल 2017 से कार्यरत हैं. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के सभी सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष या पर्षद के पुनर्गठन होने तक का होगा.
बिहार में प्रदूषण के विभिन्न कारणों पर होगा अध्ययन: डॉ अशोक घोष
प्र. बतौर पर्यावरणविद क्या रहेगी कार्ययोजना ?
उ. बिहार में प्रदूषण के कारणों का अध्ययन पर शुरूआती जोर रहेगा. मैं शुरू से रिसर्च के क्षेत्र में रहा हूं. पॉल्यूशन कंट्राेल बोर्ड में शोध को बढ़ावा देना चाहते हैं. लैब को एक्सटेंशन करेंगे. इसके लिए पहले दिन ही एक मीटिंग की है और अपनी प्रायोरिटी से कर्मचारियों को अवगत करा दिया है.
प्र. क्या मुख्य प्राथमिकताएं रहेंगी?
उ. पॉल्यूशन कंट्राेल बोर्ड को पब्लिक सपोर्ट चाहिए. इसके लिए अवेयरनेस कराना और सोसाइटी को कार्यक्रमों से जोड़ना, हमारा लक्ष्य रहेगा. आम जनता की भागीदारी हो तो हम प्रदूषण पर कंट्रोल कर लेंगे. इसके साथ ही कार्यसंस्कृति में बदलाव लाने का हिमायती हूं. मैं स्वयं समय की पाबंदी का ख्याल रखता हूं तो समय का सम्मान करना जरूरी है.
प्र. पटना प्रदूषित शहरों की सूची में लगातार अव्वल है, क्या करेंगे?
उ. अभी तो अध्ययन करेंगे कि आखिर क्या कारण है. इसके बाद समाधान की ओर बढ़ेंगे. इसके लिए सरकार और आमलोगों के बीच की कड़ी बनकर हम समाधान निकालेंगे. पटना के साथ मुजफ्फरपुर पर भी नजर है.

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