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आर्सेनिक के नुकसान |
-केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट में सामने आई बड़ी पर्यावरणीय विसंगति , एक लीटर में 0.05 मिली ग्राम से ज्यादा
-पटना का दियारा सहित मनेर, दानापुर, बख्तियारपुर और बाढ़ प्रखंड में पानी पीने के पहले जरूर उबालें
रविशंकर उपाध्याय, पटना
पटना में पानी का रंग देख कर केंद्रीय भू जल बोर्ड भी हैरत में पड़ गया है क्योंकि यहां के पानी में आर्सेनिक का लेवल अपने तय मानक से पांच गुना ज्यादा पाया गया है. बोर्ड के हालिया अध्ययन में यह पाया गया है कि यहां के एक लीटर पानी में अार्सेनिक का लेवल 0.05 मिली ग्राम से ज्यादा पाया गया है जो एक लीटर में 0.01 मिली ग्राम तक ही होना चाहिए. केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट में पटना का दियारा सहित मनेर, दानापुर, बख्तियारपुर और बाढ़ प्रखंड में पानी पीने के पहले जरूर उबालें नहीं तो कई बीमारियां हो सकती है. एएन कॉलेज वाटर प्रबंधन संस्थान के अनुसार भी पटना के दियारा में सबसे अधिक आर्सेनिक है. इसके अलावा दानापुर, मनेर, बाढ़ एवं बख्तियारपुर में भी आर्सेनिक मिला है. यह धीमा जहर है.
क्या कहता है इंटरनेशनल स्टैंडर्ड?
अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार जल में आर्सेनिक की मात्रा 0.01 मिली ग्राम प्रति लीटर से अधिक होने पर उसमें आर्सेनिक प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता हैं. आर्सेनिक प्रदूषित जल के उपयोग से चर्म रोग, चर्म कैंसर, यकृत, फेफड़े, गुर्दे एवं रक्त विकार संबंधी रोगों के अलावा त्वचा का फटना, त्वचा का कैंसर, फेफड़े और मूत्राशय का कैंसर और नाड़ी से सम्बन्धित रोग आदि होते हैं. दूसरी परेशानियां जैसे मधुमेह, दूसरे अंगों का कैंसर, संतानोत्पत्ति से सम्बन्धित गड़बड़ियां आदि के मामले भी देखे गए हैं.
दूषित पानी से 70 फीसदी बीमारी, उबाल कर पिएं पानी
दूषित पानी अधिकांश बीमारियों का प्रमुख कारण बन रहा है. सर्वेक्षण के मुताबिक औसत 70 फीसद लोग दूषित पानी पीने की वजह से बीमार हो जाते हैं. इसमें मुख्य रूप से चर्मरोग, टायफाइड, डायरिया, पेचिश, हेपेटाइटिस, दस्त, पेट में कीड़े और हैजा आदि प्रमुख है. विशेषज्ञों का मानना है कि बीमारियों से बचने के लिए पानी का फिल्टर करने के बाद ही सेवन करें. शुद्ध पानी के लिए फिल्टर नहीं लगा सकते हैं, तो कम से कम पानी को उबाले जरूर, फिर ठंडा करके छान लें. इससे अवांछित तत्व बर्तन की पेंदी पर बैठ जाते हैं. हानिकारक बैक्टिरिया नष्ट हो जाते हैं.
आर्सेनिक क्या है और कैसे नुकसान करता है?
आर्सेनिक एक गंधहीन और स्वादहीन उपधातु है जो ज़मीन की सतह के नीचे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. यह सामान्यतः चट्टान, मिट्टी, पानी और वायु में काफी मात्रा में पाया जाता है. आर्सेनिक युक्त गाद से भूजल में आर्सेनिक का रिसाव होता है. पीने के पानी में मौजूद आर्सेनिक आंतों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है, वहां से रक्त वाहनियां इन्हें विभिन्न अंगों तक पहुंचाती हैं. शरीर में अवशोषित आर्सेनिक की मात्रा का पता नाखून और बाल के नमूनों से लगाया जाता है. सामान्यतः मानव शरीर आर्सेनिक के बहुत कम मात्रा का आदी होता है, जो मूत्र के जरिए बाहर निकल जाता है. अगर अधिक मात्रा में आर्सेनिक का सेवन होने लगे तो यह शरीर के अंदर ही रह जाता है और शरीर पर तरह-तरह के नकारात्मक असर छोड़ता रहता है. https://www.prabhatkhabar.com/news/patna/story/1110659.html
बहुत बढ़िया जानकारी.
ReplyDeleteअलार्मिंग सिचुएशन
Deleteसरकार कैसे जागेगी?
ReplyDeleteजगाना पड़ेगा भाई
ReplyDeleteबेहद सामयिक और महत्त्वपूर्ण लेख के लिए बधाई! पटना ही नहीं बिहार के लगभग सभी ज़िलों में भू-गर्भीय जल के अत्यधिक एवं अनियमित शोषण और रिचार्ज की समाप्त-प्राय व्यवस्था की वजह से पानी ज़हर होता जा रहा है. स्थिति बेहद गंभीर है पर इसपर कोई सटीक और प्रभावी क़दम का भी भी इंतज़ार है.
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