केन्या में जन्मे, हिंदी फिल्मों से हिंदी सीखी फिर आये गुरु की नगरी पटना साहिब



-अफ्रीका के नैरोबी में तीन पीढ़ियों से रह रहा परिवार पहली बार नैरोबी से पटना सिटी पहुंचा
पटना
. यह गुरु की नगरी पटना साहिब आने के लिए जोश और जुनून की कहानी है. इस कहानी में जज्बा है अपनी भाषा से प्रेम का और समर्पण है अपने गुरु अपने ईश्वर से जुड़ाव का. यह केन्या की राजधानी नैरोबी में जन्में और वहीं पले-बढ़े गोविंद सिंह का परिवार है. जिसने गुरु की नगरी आने के लिए अपनी जड़ों से जुड़े रहने के लिए बॉलीवुड फिल्मों से हिंदी सीखी और जब लगा कि अब वे गुरु की नगरी पटना साहिब जा सकते हैं तो इसने यहां आने का प्लान बना लिया. गुरु नानक निष्काम सेवा जत्था के प्रसिद्ध सफेद परिधान में पहुंचा यह परिवार दशमेश गुरु की जन्मस्थली तख्त हरमंदिर साहिब में र्शन कर पास के ही मारवाड़ी स्कूल परिसर में लंगर छकने के लिए पहुंचते हैं. परिवार के मुखिया गोविंद सिंह ही इकलौते ऐसे व्यक्ति हैं जो यहां एक बार और आये हैं बाकी हरजोत, राज सिंह, किरण सिंह, करीम कौर, सतेंद्र कौर और प्रभदीप सिंह पहली बार पटना साहिब आये हैं. अफ्रीकी महाद्वीप के देश केन्या की राजधानी में इनका परिवार तीन पीढ़ियों से निवास कर रहा है और यह यहां आकर बहुत खुश हैं. सभी कहते हैं कि यहां आने पर लग रहा है जैसे किसी होटल में निवास कर रहे हों. किसी भी चीज के लिए आपको एक रुपया नहीं खर्च करना पड़ रहा है.

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