हज सब्सिडी का सच: केवल हवाई किराये में ही मिलती है सब्सिडी, बड़ा तबका सब्सिडी को बंद करने के पक्ष में


- बिहार के एक हज यात्री को यात्रा के लिए चुकाना होगा 2.82 लाख रुपये, खाने का खर्च भी खुद करना होगा वहन
- हज के अलावा यदि मक्का जाते हैं जो उमरा में केवल 60-70 हजार रुपये में सभी खर्चों के साथ यात्रा कर लौट आयेंगे
रविशंकर उपाध्याय, पटना

इस वर्ष 2018 में यदि हज की यात्रा पर बिहार के जायरीनों को जाना है तो प्रत्येक हज यात्री को 2 लाख 82 हजार रुपये का खर्च आयेगा. इस राशि में सरकार द्वारा करीब 42 दिनों तक सऊदी अरब के मक्का में ले जाया जाता है और वहां से वापस लेकर आया जाता है. वहीं, यदि हज के अलावा कोई जायरीन अन्य दिनों में यानी उमरा जाना चाहते हैं तो उनको 60 से 70 हजार रुपये का खर्च लगता है. सवाल है कि अन्य दिनों में एक तिहाई खर्च क्यों होता है, यह अंतर क्यों है? हज सब्सिडी का इतना शोर सरकार और आम लोग क्यों करते हैं? हज के दौरान इतना खर्च कैसे होता है और सब्सिडी की राशि जाती कहां है? सब्सिडी के बारे में इतनी भ्रांतियां हैं कि बहुसंख्यकों को यह लगता है कि करोड़ों रुपये सरकार इस यात्रा पर खर्च करती है. लेकिन हज सब्सिडी के बारे में जब आप सब कुछ जानेंगे तो आपको पता चलेगा कि हज की यात्रा का क्या गणित है? प्रभात खबर ने हज सब्सिडी को लेकर यह विशेष पड़ताल की है.
केवल हवाई किराये में ही मिलती है सब्सिडी
दरअसल हज सब्सिडी का सारा खेल हवाई टिकट को लेकर है. भारत से हर साल सवा लाख वहीं बिहार से लगभग 10 हजार जायरीन हज कमेटी के जरिए हज करने जाते हैं जिन्हें सब्सिडी मिलती है. पूरे देश से लगभग 50 हजार लोग निजी ऑपरेटर के जरिये हज करने जाते हैं, जिन्हें सब्सिडी नहीं मिलती. दोनों के खर्च में कोई खास फर्क नहीं होता, दोनों ही तरह से हज यात्रा करने पर प्रति व्यक्ति दो लाख से लेकर 2.50 लाख रुपये तक खर्च आता है. क्योंकि हज कमेटी सिर्फ चार्टर्ड फ्लाइट बुक करती है. फ्लाइट काफी महंगी पड़ती है, जबकि निजी एयरलाइन से जाना सस्ता पड़ता है. इसी कारण उमरा यानी अन्य दिनों में हज यात्रा पर जाना आना सस्ता होता है.



पवित्र कुरआन कहता है : आप यह मुकद्दस यात्रा करने की क्षमता रखते हैं तभी करें.
हज कमेटी ऑफ इंडिया की पंचलाइन है जो हज का इरादा करे वो जल्दी करें और हज जवानी में करें. वहीं पाक कुरआन कहता है कि यदि आप यह मुकद्दस यात्रा करने की क्षमता रखते हैं तभी करें. हालांकि सरकार हज यात्रा का आयोजन हर साल करती है. उसमें एक तय रकम चुकाने के बाद मक्का ले जाया जाता है, वहां ठहरने पर आपको भोजन आदि का सारा खर्च स्वयं वहन करना होता है. यानी यहां से जाने और आने के खर्च के अलावा ठहरने का खर्च इस 2.82 लाख में शामिल है. बिहार के भी प्रबुद्ध मुस्लिमों की मांग है कि हज की सो कॉल्ड सब्सिडी बंद की जाये और हवाई यात्रा के लिए निजी एयरलाइनों से भी टेंडर मंगाये जायें और जो कम कीमत पर टिकट दे, उसी को ठेका दिया जाए. यात्रियों को केवल सुविधाएं मिले.
सब्सिडी अविलंब खत्म करे केंद्र सरकार : गुल्फिशां जबीं, सदस्य, बिहार स्टेट हज कमेटी
हज तो फर्ज है. एक रुपया भी हराम का नहीं लगा सकते तो सब्सिडी क्यों दी जा रही है? एक प्रसिद्ध कहानी है कि मशहूर अदाकार दिलीप कुमार उर्फ यूसूफ कुमार ने भी मस्जिद में सेवा की थी और उसके बाद उस पैसे से हज करने गये थे. केंद्र सरकार को इस ओर तुरंत ध्यान देने की जरूरत भी है. जिससे मुस्लिम समुदाय की पवित्र यात्रा हज को लेकर सब्सिडी दिये जाने पर सवाल खड़े न किये जा सके. साथ ही इस पर सियासत होने के वजह इसे एक सकारात्मक सोच के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के पालन के रूप में देखना चाहिए जो कि हमारे देश की सबसे बड़ी संवैधानिक संस्था है.
मुस्लिम कम्यूनिटी सब्सिडी खत्म करने के हक में : अरशद अजमल, व्यवसायी और माइक्रो फाइनेंसर
मुस्लिम कम्यूनिटी सब्सिडी खत्म करने के हक में है क्योंकि हज उनलोगों का फर्ज है जिनके पास उतनी आर्थिक, शारीरिक और मानसिक क्षमता हो. फिर सब्सिडी केवल एयरलाइन कंपनी को सुदृढ़ करने के लिए दी जा रही है. यहां एयरलाइन की इंटरनेशनल बीडिंग की जाये तो फिर किराया और सस्ता हो जायेगा. कई सारे ऐसे देश हैं जहां सब्सिडी नहीं दी जाती है. मलेशिया और इंडोनेशिया में कोई सब्सिडी नहीं दी जाती है. केवल सुविधाएं दी जाती है. वहां की सरकार साफ कहती है जो हज जाना चाहते हैं वो सेविंग करें.
केवल एयरलाइन कंपनियों की सेहत सुधारने के लिए सब्सिडी : मिन्नत रहमानी, अध्यक्ष, अल्पसंख्यक सेल, बिहार कांग्रेस
एक मुसलमान हज यात्रा पर जाने की तभी सोचता है जब वो अपनी मेहनत की कमाई का जायज़ पैसा इकट्ठा कर लेता है...एक मुस्लिम धर्म यात्री अपने खाने-पीने, रहने के लिए लिए खुद की जायज कमाई खर्च करता है तो फिर उनके नाम पर हज सब्सिडी की तोहमत क्यों लगायी जाती है... जिसको लेकर हमेशा से सवालात उठते रहे हैं... हज यात्री अपने शहर से राजधानी और वहां से जेद्दा की यात्रा पर एयर लाइंस पर निकलता है. इस दौरान एयर बस पर पहुंचने से पहले के सारे खर्चे भी वही उठाता है... यह जिस सब्सिडी की बात की जाती है वह वास्तविक तौर पर तो नहीं पर आभासी तौर पर जरूर एक हाजी को सरकार देती है. हज सब्सिडी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में भारत सरकार को निर्देश दिया था कि 2022 तक सब्सिडी की रकम को धीरे धीरे खत्म करें लेकिन मौजूदा सरकार ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को किनारा करते हुए मनमाने ढंग से इसी वर्ष से हज सब्सिडी को पूर्णतः ख़त्म कर दिया है जो कि मुसलामानों के साथ एक धोखा है.
ढ़ाई लाख लगते ही हैं, पचास हजार और लग जाएं : मो मकसूद आलम, मौलवी सह ट्रेनर हाजीपुर
सब्सिडी को पूरी तरह खत्म कर दिया जाये. अब जहां एक हज यात्री को ढ़ाई लाख लगते ही हैं तो पचास हजार और लग जायेंगे. क्या फर्क पड़ेगा? जीवन में एक ही बार तो हज करना फर्ज है. मैं तो तीन बार की यात्रा कर चुका हूं. आम मुसलमानों ने तो कई बार कहा कि इसे खत्म कर दिया जाये लेकिन सियासतदान ऐसा नहीं कर रहे हैं और लोगों के बीच गलत जानकारी जाती है.
बचाव में : सब्सिडी खत्म करने की मांग करने वाले प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स से क्यों नहीं जाते?
सब्सिडी खत्म करने की मांग करने वाले प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स से क्यों नहीं जाते हैं? दरअसल पहले यह नहीं बताया जाता था कि कितनी सब्सिडी हरेक के हिस्से आती है. केंद्र सरकार ने हर जगह से किराये को पहली बार सार्वजनिक किया गया है तो इसका पता चलता है कि हवाई जहाज का कितना किराया एक हाजी को देना होगा? बिहार से जाने वाले हरेक हाजी के लिए 1 लाख 13 हजार रुपये केवल किराया है. इसका कारण यह है कि केवल चार्टर्ड प्लेन हज की यात्रा पर जाता है जो यहां से यात्रियों को लेकर जायेगा तो उधर से खाली लौटेगा. इसी तरह वहां से लेकर आयेगा तो इधर से खाली जायेगा. इस कारण किराया अन्य दिनों की तुलना में ज्यादा होता है.
-हाजी इलियास हुसैन, चेयरमैन, बिहार स्टेट हज कमेटी
कब क्या रही दर?
2016: 2.19 लाख रुपये (ग्रीन केटेगरी) और 1.85 लाख (अजीजिया)
2017: 2.34 लाख रुपये (ग्रीन केटेगरी) और 2.00 लाख (अजीजिया)
2018: 2़ 84 लाख अनुमानित- अभी घोषणा होना बाकी
कैसे मिलती है सब्सिडी?
-सब्सिडी अमूर्त होती है, वह एयर किराये के रूप में दी जाती है. इस बार एयर किराया सार्वजनिक किया गया है.
-ग्रीन कैटगरी: मक्का मुख्य क्षेत्र के 1000 मीटर का दायरा-इसमें किचन नहीं मिलता है. भोजन होटल में खाना होता है.
-अजीजिया कैटगरी: सात से आठ किलोमीटर का दायरा- अजीजिया में रिहाइश में किचेन की सहूलियत भी मिलती है.

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