पटना पर भी छायी धूल और धुएं की धुंध, जनवरी के बाद सबसे प्रदूषित हुआ नवंबर



-एयर क्वालिटी इंडेक्स में नवंबर में हुआ काफी इजाफा
-दिल्ली के बाद पटना पर भी स्मॉग का साया
पटना
. दिल्ली के बाद पटना पर भी धूल और धुएं का धुंध छाया हुआ है. आसमान में अहले सुबह से धुंध छा रही है और धूल आसमान में नहीं बिखर रहा है. इस कारण लगातार बढ़ रहा प्रदूषण हमें बीमार बना रहा है. धुंध सुबह में हल्की रह रही है और दिन शुरू होते ही वह पूरी तरह साफ हो जा रही है. हालांकि अहले सुबह ही तफरीह और स्वच्छ हवा के लिए निकलने वाले लोगों को स्वच्छ हवा नहीं मयस्सर हो रही है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नवंबर के पांच दिनों का ही आंकड़ा देख कर आपको लगेगा कि यहां की आबोहवा खराब है. दो से छह नवंबर का आंकड़ा यह कह रहा है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स 234 से लेकर 282 तक दर्ज किया गया है. यह क्वालिटी बदतर कैटेगरी का है जो सांस लेने की हवाओं के पैमाने पर कहीं खड़ा नहीं होता है.
जनवरी से ज्यादा प्रदूषित नवंबर के शुरुआती दिन
एयर क्वालिटी के मानकों के मुताबिक हवा में पार्टिकुलेटेड मैटर 2.5 की मात्रा 60 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर होनी चाहिए, जनवरी सबसे ज्यादा प्रदूषित थी और उसके बाद नवंबर उस पर भारी पड़ गया है. जनवरी माह में 205 की सीमा पर थी जो नवंबर के 2 से 6 नवंबर के शुरूआती पांच दिनों में क्रमश: 234, 230, 282, 247 और 249 हो गया है. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और सेंटर फॉर इंवायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट के मुताबिक खराब गुणवत्ता के मामले में पटना की हवा राज्य में पहले पायदान पर है. गया और मुजफ्फरपुर से भी ज्यादा यहां की हवा प्रदूषित है. इसके साथ ही देश के 20 शहरों में पटना का स्थान 12वां है. पटना में पीएम 2.5 का औसत तय राष्ट्रीय तय मानक से चार गुना और पीएम 10 का औसत तीन गुना अधिक है.
गा़ड़ियों के प्रदूषण सबसे बड़े कारण
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अध्ययन कहता है कि पटना की हवा में पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5 और पीएम 10) की मात्रा तय मानक से ज्यादा है. इसका कारण गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ, धुल और ईंट भट्टा है. इस प्रदूषण के कारण दमा, कैंसर और सांस की बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. ये धूलकण आसानी ने सांस के साथ शरीर के अंदर जाकर गले में खरास, फेफड़ों को नुकसान, जकड़न पैदा करते हैं.

किन चीजों से होता है कितना प्रदूषण?  
ट्रांसपोर्ट: 20 फीसदी
लकड़ी जलावन: 20 फीसदी
ईंट भट्ठे: 20 फीसदी
ठोस कचरा: 14 फीसदी
इंडस्ट्री: 9 फीसदी
जेनरेटर व रोड डस्ट: 7 फीसदी
कंस्ट्रक्शन एक्टीविटिज व अन्य: 10 फीसदी
कब क्या रहा एयर क्वालिटी इंडेक्स?
दो नवंबर: 234
तीन नवंबर: 230
चार नवंबर: 282
पांच नवंबर: 247
छह नवंबर: 249
-आंकड़े सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के हैं-
एक्सपर्ट कमेंट:
जनवरी के बाद प्रदूषण का लेवल सर्वाधिक बढ़ा हुआ है. आप देखिये कि एयर क्वालिटी इंडेक्स नवंबर के शुरूआती हफ्ते में ही 280 तक चला गया है जबकि अभी तापमान भी बहुत ज्यादा कम नहीं है. तापमान जैसे ही और कम होगा धूल आसमान में फैल नहीं पायेगा और आने वाले दिनों में स्थिति और खराब होगी.
      -अंकिता ज्योति, सीनियर प्रोग्राम अफसर, सेंटर फॉर इन्वॉयरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट



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