-अंतरराष्ट्रीय स्तर की होगी राजगीर की 192 हेक्टेयर की सफारी
- 56 करोड़ की राशि से काम हुआ शुरू, बाउंड्री वॉल बनकर तैयार
- इंटरनेशनल लेवल के प्रोफेशनल इंजीनियर को किया जा रहा हायर
- बाघ, शेर, तेंदुआ एवं अन्य जंगली जानवर खुले में रहेंगे, जंगल सफारी में पर्यटक जानवरों को उनके प्राकृतिक माहौल में करीब से देख सकेंगे
पटना.
राजगीर में बन रही बिहार की पहली सफारी अंतरराष्ट्रीय स्तर की होगी. वहां बाउंड्री वॉल बनकर तैयार हो गया है. वन और पर्यावरण विभाग मार्च 2019 तक सफारी को पूरा करने के लिए लगातार काम कर रहा है. सफारी का स्टैंडर्ड इंटरनेशनल लेवल का हो, इसके लिए उच्च स्तरीय प्रोफेशनल को हायर करने की तैयारी चल रही है. इस कड़ी में सबसे पहले इंजीनियरिंग फर्म की बहाली का काम चल रहा है और इसके बाद मैनपावर भी उसी स्तर का लाया जायेगा. प्राचीन मगध की राजधानी राजगीर में 192 हेक्टेयर सफारी बनने के बाद पर्यटक केज वाले वाहन से वहां सैर करेंगे. सफारी में बाघ, शेर, तेंदुआ जैसे जंगली जानवर खुले में रहेंगे. सफारी में पर्यटक जंगली जानवरों को उनके प्राकृतिक माहौल में करीब से देख सकेंगे. इस वन्य सफारी की स्थापना में वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों का पालन किया जा रहा है. इसे राज्य वन्य प्राणी पर्षद, राष्ट्रीय वन्य प्राणी पर्षद तथा केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की अनुशंसा और अनुमति प्राप्त है. सफारी के संचालन और इसके वन्य जंतुओं के लिये संरचनाओं का निर्माण केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के मार्गदर्शन में किया जा रहा है. सफारी में उच्चस्तरीय ओरिएंटेशन सेंटर तथा इंटरपेटेशन सेंटर का विकास भी किया जायेगा.
56 करोड़ रुपये से शुरू हुआ है काम
इस सफारी को बनाने के लिए सरकार द्वारा पहले चरण में 56 करोड़ रुपये दिये गये हैं. इसके बाद और राशि जारी की जायेगी. विश्व स्तर पर चिड़ियाघर में वन्य जन्तु की सुविधा बढ़ाने की प्रयास की जा रही है. राजगीर की सुरम्य वादियों में बनने वाले इस सफारी में एवियरी (पक्षीशाला) एवं तितली पार्क का भी विकास होगा. इसमें रंग बिरंगी तितलियों वाला एक बटरफ्लाई जोन पर्यटको के लिए अनूठा होगा. इस सफारी में ओपन थिएटर होगा जिसमे ऑडियो एवं विज़ुअल माध्यम से वन्य प्राणियों के बारे जान सकेंगे. इस सफारी के पौने दो हेक्टयर क्षेत्र में केवल पार्किंग की व्यवस्था होगी.
52-52 एकड़ में बाघ-शेर और 80 एकड़ में हिरण-सांभर सफारी
राजगीर में 52 एकड़ में बाघ सफारी बनाने की तैयारी है. शेर की सफारी के लिए भी 52 एकड़ जमीन निर्धारित की गई है. इसके अलावा तेंदुआ सफारी 52 एकड़ और भालू की सफारी 52 एकड़ में बनेगी. 80 एकड़ जमीन पर हिरण और सांभर के लिए सफारी बनाने का डिजाइन तैयार हो गया है. सफारी के जानवरों के लिए जंगल जैसा माहौल बनाया जाएगा, जहां आम लोग भी तफरीह कर सकेंगे.
इटावा की सफारी का किया गया था अध्ययन
बिहार की इस पहली सफारी को बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के इटावा में बने सफारी की खासियतों का अध्ययन किया गया था. सीएम नीतीश कुमार के निर्देश पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृह नगर इटावा के सफारी पार्क की स्थितियों का आकलन करने के लिए एक टीम भी भेजा गया था. इटावा सफारी पार्क कुल 350 एकड़ में बना है. इसके अलावा राजगीर में सफारी बनाने से पहले देश के अन्य हिस्सों में एक्पर्ट भेजे गये हैं. यह सफारी पर्यटकों के लिये आकर्षण का केन्द्र होगा.
सफारी में क्या होता है खास?
वन्य प्राणी सफारी की मुख्य विशेषता यह होती है कि इसमें वन्य जंतुओं को सामान्य चिड़ियाघर की तुलना में खुले वनों का घेरा कर काफी बड़े-बड़े बाड़ो में रखकर उन्हें ज्यादा स्वच्छंद विचरण की सुविधा दी जाती है. पर्यटकों को बंद संरक्षित गाड़ी में बाड़ों के अंदर जाकर वन्य जंतुओं को ज्यादा प्राकृतिक रूप में देखने का अवसर मिलता है.
''सफारी के लिए लगातार काम चल रहा है. बाउंड्री वाॅल का काम पूरा हो गया है. सरकार द्वारा 56 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने के बाद इसमें प्रगति आयी है. हम दो साल के लक्ष्य को लेकर काम कर रहे हैं. सफारी को अंतरराष्ट्रीय बनाने के लिए हम सब मेहनत कर रहे हैं. 2019 में बिहार को पहली सफारी देने के लिए हम तैयार हैं.''
-डॉ नेसामणि कुमार, डिवीजनल फॉरेस्ट अफसर, नालंदा
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