हे समाज! तुम इस तरह बेकरार हो जाओ, कुछ नहीं बस बाजार हो जाओ



हे समाज! तुम इतने निष्ठुर क्यों हो जाते हो, बाजार क्यों नहीं हो जाते हो? देखो तो बाजार के लिए सब बराबर होते हैं. आप किसी भी धर्म के हों किसी भी जाति या संप्रदाय के. आपके लिए बाजार कोई भेदभाव करता है क्या? नहीं करता. बाजार सेक्यूलर होता है. राजनीति वाला सेक्यूलर नहीं बल्कि ईमानदार सेक्यूलर. इतना कि वो ईद भी मनाता है और बकरीद भी. दशहरा भी पूरी तन्मयता से मनाता है और उसकी दिलचस्पी दिवाली से लेकर छठ मनाने में भी होती है. क्रिसमस को भी वह नहीं बिसारता और गुरु पर्व आये तो वहां भी संभावनाएं कितनी आसानी से तलाश लेता है. 
बाजार हमें बताता है कि आप सर्वधर्म समभाव का भाव रखिये. किसी को ना छोटा समझिए और ना ही किसी को बड़ा. सब बराबर हैं. यदि ऐसा समझेंगे तो इससे आपको ना केवल शांति और सुकून मिलेगा बल्कि आपके लिए ब्रेड और बटर का जुगाड़ भी करेगा. हे समाज, हमें वाकई बाजार और उसके चलन से सीखना चाहिए. पूरे समाज को बाजार हो जाना चाहिए. समाज बाजार होगा तो समरस होगा. समाज बाजार होगा तो समदर्शी होगा. समाज बाजार होगा तो आर्थिक उन्नति के लिए बेकरार होगा और समाज बाजार होगा तो समानता का सबसे प्रमुख पैरोकार होगा. हम तो यही कहेंगे कि हे समाज! तुम इस तरह बेकरार हो जाओ, कुछ नहीं बस बाजार हो जाओ.
#जब पटना के पीएंडएम मॉल के बिग बाजार में छठ पूजा के उपलक्ष्य में चूल्हा और गोयठा बिकता देखा तो यही भाव आया.

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    1. धन्यवाद सर, आपने ही ब्लॉग लगातार लिखने के लिए प्रेरित किया

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