- एक तरफ आज आस्था की मां दुर्गा को देखने के लिए लोग मंदिरों और पूजा पंडालों के बाहर लाइन लगायेंगे दूसरी तरफ वृद्धाश्रमों में मां अपनों की उपेक्षा पर आंसू बहायेंगी
रविशंकर उपाध्याय, पटना
केस-एक: पांच साल पहले कोलकाता से आकर बेटे ने महावीर मंदिर में छोड़ दिया
पांच साल पहले कोलकाता की वृद्धा सीमा को उसके बेटे जयंतो ने कहा कि जाओ तुम्हें मेरा दोस्त पटना घूमा लायेगा. वह खुशी खुशी उसके साथ चली आयी. कोलकाता के हावड़ा से ट्रेन में बैठ कर जब चली तो यह नहीं पता था कि उसके बूढ़े होने के कारण हो रही परेशानी से छुटकारा पाने के लिए बेटे ने यह प्लान बनाया है. यही सच था बेटे के दोस्त ने उसे राजधानी के महावीर मंदिर में लाकर छोड़ दिया. केवल पूछने पर वह फंफक कर अपने आंसू बहाते हुए बेटे की करतूत की सारी कहानी कह जाती है.
केस-दो-रिश्तेदारी में ले जाकर मां को रात 12 बजे घर से कर दिया बाहर
शाहपुर बाढ़, पटना की रहनेवाली शांति देवी की कहानी और दुखदायी है. उनका एक बेटा और एक बेटी है. पांच साल पहले लखनऊ के स्याही गोदाम में काम करने वाला बेटा फूल चंद चौधरी और उसकी पत्नी काफी परेशान करती थी. खाना नहीं देती थी. एक बार अचानक मां को लेकर बेटा अपनी पत्नी के मामाघर चला गया. बहला फुसला कर दो बीघे खेत लिखवा लिया और 12 बजे रात में घर से निकाल दिया.
केस-3-बहू के मारपीट के कारण ट्रेन पकड़ आ गयी पटना
आरा के विष्णु पुर गांव की रहनेवाली कांति देवी से बहू मारपीट करती थी. एक दिन गुस्से में वह ट्रेन पकड़ कर पटना आ गयी. यहां किसी ने कोतवाली थाने को सौंप दिया इसके बाद वह वृद्धाश्रम आ गयी. वह कहती है कि बेटा मित रंजन ने कोई विरोध नहीं किया इस कारण और तकलीफ होती है. अब वह नहीं जायेगी.
केस -4- बहू न कर दिया खाना पीना बंद, आजिज होकर भाग गयी
मीना देवी गुलजारबाग पटना की ही रहनेवाली है. एक बेटा विकलांग है और उनकी बहू हजारीबाग की है. पहले बहू ने खाना पीना बंद कर दिया फिर मारपीट भी करने लगी. खाली पैसा पैसा करती रहती है और उसी के कारण बेटे से भी मारपीट करती है. इसके बाद घर से बाहर कर दिया और अभी यह उस दिन को याद कर खूब दुखी होती है जब उसके पति ने जमीन बेचा तो उस कागजात पर साइन कर दिया.
आज दशहरे में मां दुर्गा की प्रतिमा का जब अनावरण होगा तो लोग मां के दर्शन को उमड़ेगें लेकिन इसी बीच अपनी सगी माएं अपनी संतान द्वारा बिसार दिए जाने के कारण जार जार रोएंगी. अपने बेटे बहू के कपूत हो जाने पर आंसू बहायेगी और उस पल को याद कर दर्द से कराह उठेंगी जब अपनी संतान को कितने जतन से पाल पोस कर बड़ा किया था. उपर की चार कहानी तो केवल बानगी भर है. यह तल्ख हकीकत है उस समाज की जिसमें एक ओर तो हम आस्था की माता का सत्कार करते हैं और सगी जीती जागती मां को असहाय छोड़ देते हैं. पटना के बेली रोड स्थित अपना घर वृद्धाश्रम में कुछ ऐसी ही अभागी माताएं बहनें कई सालों से रह रही है. बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग द्वारा इनकी सेवा सुश्रूसा की जा रही है.
बेटा गौ महादेव हको बेटा, पतोहू एकदम खत्तम
जब आप यहां पहुंचेंगे तो आपको अजनबी आंखें निहारेंगी, सवाल अपनों से ही मिले दर्द का होगा और उनके पास सुनाने को कई कहानियां होगी. बिहारशरीफ के अंबेर मुहल्ले के आशा देवी कहती हैं कि उनको बाल बच्चा नहीं है. पति का भी डेथ हो गया तो भतीजे और उसकी बहूओं ने कहा कि अब अपना रास्ता देख लीजिए. ससुर ने जमीन बेच दिया था तो किसके सहारे रहती? यहां आयी तो देखा जब अपना खून नहीं पूछता तो मेरा तो भतीजा ही था. अपने बेटे को ताड़ी बेचकर पालन पोषण करने वाली शांति देवी कहती है कि बेटा तो गौ महादेव(मतलब बहुत सीधा) है बेटा लेकिन बहू ही बहुत खत्तम (मतलब बहुत बदमाश) है. उसी के कारण चार पोतों के प्यार को छोड़ दिए. बेटी गोरखपुर में रहती है जिसको खबर भी नहीं की.
कोई किसी का नहीं यहां झूठे नाते हैं नातों का क्या?
अपना घर(वृद्धाश्रम)के सुपरिटेंडेंट मनोज कुमार एक गाने की लाइनें उधृत करते हुए कहते हैं, कोई किसी का नहीं यहां झूठे नाते हैं नातों का क्या? यहां रहने और बुजुर्गों की देखभाल करने के क्रम में यही तल्ख हकीकत वे भी रोज महसूस करते हैं. इसी कारण उन्होंने मोबाइल का कॉलर ट्यून भी बना रखा है. वे कहते हैं जो मां पाल पोस कर बड़ा करती हैं उसी मां को देखने के लिए तो आना दूर की बात है किस प्रकार का व्यवहार कर घर से निकाल दिया गया यह बहुत दु:खद स्थिति है. समाज एक ओर मां की पूजा करता है और दूसरी ओर अपनी सगी मां के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार भी करता है.
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