-मेनिफेस्टो में भी करना होगा आदर्श आचार संहिता का पालन
-चुनाव आयोग की टीम रखेगी नजर
रविशंकर उपाध्याय, पटनाबिहार विधानसभा चुनाव में वैसे सभी राजनैतिक दल जो केवल वोट बटोरने के लिए अपने घोषणापत्र में चांद तारे तक तोड़ लाने का वादा कर देते हैं और आम मतदाताओं को प्रलोभन देकर वोट बटोरने का काम करते है़ उन्हें इस बार घोषणापत्र बनाने में भी आचार संहिता का पालन करना होगा़ जो भी घोषणापत्र प्रस्तुत किए जाएंगे उसमें आचार संहिता के सभी बिंदुओं का खास तौर पर ख्याल रखना होगा़ यदि राजनैतिक दल ऐसा नहीं कर सके तो उन पर अाने वाले दिनों में चुनाव आयोग का डंडा चलेगा़ भारत निर्वाचन आयोग बिहार विधानसभा चुनाव में घोषणापत्रों की खास तौर पर निगरानी करेगा़ चुनाव आयोग ने 10 और 11 अगस्त को दिल्ली में आयोजित बैठक में बिहार के सभी निर्वाचन पदाधिकारियों को इसे लेकर सजग रहने को कहा है़ उन्हें कहा गया है कि वे आदर्श चुनाव आचार संहिता में जोड़ी गई धारा 8 के अनुसार कार्य करें और उसका पूर्ण पालन करे़ इस धारा में चुनाव पूर्व जारी किए जाने वाले घोषणापत्रों का नियमन किया गया है़चुनाव के तारीख की घोषणा के पहले जारी मेनिफेस्टो पर भी होगा लागराजनैतिक दल यदि लाभ उठाने के लिए चुनाव के तारीख के पहले भी घोषणापत्र प्रस्तुत कर देंगे तो भी आयोग की नजर से नहीं बच पाएंगे़ दरअसल चुनाव की तारीख की घोषणा होने के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाती है़ इससे बचने के लिए कई राजनैतिक दल पहले ही घोषणापत्र सार्वजनिक कर दे सकते है़ इसे देखते हुए आयोग ने इसके दायरे में चुनाव के तारीख के पहले भी घोषित किये गये मेनिफेस्टो को भी रखा है़ आयोग ने यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर जारी किया है, इस फैसले में कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया था कि वह चुनावी घोषणापत्रों को आचार संहिता के अंतर्गत लाकर उनका नियमन करे़ इसके बाद चुनाव आयोग मेनिफेस्टो पर निगाह रखने के लिए एक निगरानी टीम भी बनाएगी़
बॉक्स: आदर्श आचार संहिता के सामान्य नियम :
-मत पाने के लिए भ्रष्ट आचरण का उपयोग न करें जैसे-रिश्वत देना, मतदाताओं को परेशान करना -कोई भी दल ऐसा काम न करे, जिससे जातियों और धार्मिक या भाषाई समुदायों के बीच मतभेद बढ़े या घृणा फैले
-राजनीतिक दल ऐसी कोई भी अपील जारी नहीं करेंगे, जिससे किसी की धार्मिक या जातीय भावनाएं आहत होती हों
-राजनीतिक दलों की आलोचना कार्यक्रम व नीतियों तक सीमित हो, न ही व्यक्तिगत
-धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनाव प्रचार के रूप में नहीं किया जाना चाहिए
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