किसानों की जिंदगी और विडम्बनाओं का चोली-दामन का साथ रहा है. तीन साल से सुखा झेल रहे किसानों की बांछे उस समय खिल गयी जब झारखण्ड में खूब बारिश हुई. इन्द्रदेव की कृपा को सरकारी नजर उस समय लग गयी जब बीज की आपूर्ति की गयी. खूंटी जिले के तीन प्रखंडों के तक़रीबन एक हजार किसान की फसल खराब हो गयी है. बीज की गुणवत्ता यहाँ के परिस्थितियों से मेल नहीं खा सकी और स्थिति यह आयी कि बालियाँ फूटी ही नहीं, यदि फूटी भी तो उसमे दाना नहीं आ सका. पड़ोस के खेत कि लहलहाती बालियाँ देखकर किसान जार- जार रोते हैं.
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