इन दिनों महगाई पर कई बयानात सामने आ रहे हैं. मुझे सबसे अच्छा बयान डा मनमोहन सिंह का लगा. उन्होंने कहा है की जनता के कारन हम अपने संसाधनों की तो बलि नहीं चढ़ा सकते हैं. क्योंकि वो अपार बहुमत के नशे में है. पत्रकार रविश कुमार कहते हैं कि यदि आप सरकारी पत्रकार है तो महगाई डालर और रुपया का खेल है. यदि आम पत्रकार है तो आम जनता के जख्मों पर नमक छिड़काउ पत्रकारिता करेंगे. मुझे समझ नहीं आता कि दो चार दिनों के हल्ले से महगाई ख़त्म हुई होती तो वो हमारे समाज में आती ही नहीं. आप ही बताइए हम क्या लिखें?  

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