मैं इन दिनों झारखण्ड में हूँ, रांची की कोख से सटे खूंटी जिले में. अति नक्सल प्रभवित इस जिले की पुलिसिया व्यवस्था को एक पत्रकार की नजर से देख रहा हूँ. कह सकता हू की नज़ारे कई हैं बस चौकस नजरो की जरुरत है . ये बातें बड़ी हो सकती है तो छोटी भी. लेकिन सरकारी तंत्र की अजिबिअत के दर्शन करने हो तो यहाँ आ जाइये . पुलिस वाले आपके सामने दुखड़ा रोयेंगे की भाई साहब यहाँ काम करने में बड़ी मुश्किलें हैं. कभी भी जान जा सकती है वहीँ दूसरी ओर प्रमोसन पाने के लिए तिकड़मो की फेहरिस्त इतनी लम्बी की आप का दिमाग चकरा जाये. यदि एक लाइन में यहाँ के पुलिस को परिभाषित करना हो तो कहा जा सकता है की मुर्दों के रहस्य से बनते हैं यहाँ के पुलिसवालो के भविष्य.
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